तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी तथा प्रवक्ता कुणाल घोष के बीच चल रहा द्वंद समाप्त
तृणमूल सूत्रों का कहना है कि कुणाल-कल्याण के बीच चल रही बयानबाजी एक ऐसे चरण में पहुंच गई थी जहां पार्टी की समग्र छवि खराब हो रही थी। स्थिति को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व ने बीच बचाव किया। दोनों पक्षों ने अपना मुंह बंद रखने का फैसला किया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप से तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी तथा पार्टी के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष के बीच चल रहा द्वंद समाप्त हो गया है। शुक्रवार को खुद कुणाल घोष ने हंसी इमोजी के साथ ट्वीट कर कहा कि अध्याय बंद ('चैप्टर क्लोज') हो गया है। इसके बाद माना जा रहा है कि श्रीरामपुर के सांसद कल्याण बनर्जी के साथ चल रहा उनका झगड़ा खत्म हो गया है।
तृणमूल सूत्रों का कहना है कि कुणाल-कल्याण के बीच चल रही बयानबाजी एक ऐसे चरण में पहुंच गई थी जहां पार्टी की समग्र छवि खराब हो रही थी। स्थिति को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व ने बीच बचाव किया। उस सुझाव के बाद दोनों पक्षों ने अपना मुंह बंद रखने का फैसला किया है। उन्हें कहा गया है कि अगर किसी को कुछ कहना है तो पार्टी की सर्वशक्तिमान नेता ममता बनर्जी को सूचित किया जाना चाहिए। लेकिन खुलकर बयान नहीं देना चाहिए।
दरअसल तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी के उस बयान का तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने खुलकर विरोध किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के ग्राफ के मद्देनजर वह फिलहाल दो महीने तक राज्य में नगर निगमों के चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं। अभिषेक ने कहा था कि यह उनकी निजी राय है। कल्याण बनर्जी ने कहा है था कि इस पद से किसी की भी कोई व्यक्तिगत राय नहीं हो सकती है। कई मुद्दों पर मेरी निजी राय भी है। यह पार्टी के अनुशासन के कारण सार्वजनिक रूप से नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि अभिषेक का बयान ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ है। एक तरह से राज्य सरकार को चुनौती दी गई है।
कल्याण की टिप्पणी के जवाब में कुणाल ने गुरुवार को कहा था कि अभिषेक पार्टी की सर्वोच्च नेता ममता बनर्जी के बाद हैं। अगर अभिषेक जैसे नेता कुछ कहते हैं तो हमें पार्टी के सामान्य सैनिकों के रूप में इसे चुपचाप सुनना चाहिए। कोई भी टिप्पणी करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। कल्याण ने कुणाल के बयान का जवाब दिया कि वह ममता बनर्जी के अलावा किसी को नेता नहीं मानते हैं। अगर अभिषेक त्रिपुरा और गोवा जीत सकते हैं, तो मैं उन्हें नेता के रूप में स्वीकार करूंगा। सूत्रों ने बताया कि ममता को कुणाल-कल्याण के झगड़े के बारे में जानकारी दी गई।
एक पूर्व राज्यसभा सदस्य और एक मंत्री ने पहले दोनों पक्षों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए बैठक में भाग लिया था। उन्होंने दोनों पक्षों से फोन पर बात की और मामले को सुलझाने को कहा। हालांकि कल्याण बहुत ज्यादा सहमत नहीं थे। कुणाल के बयान के एक हिस्से पर उन्हें कड़ी आपत्ति थी। इसमें पार्टी नेता ने पार्टी के महासचिव और मंत्री पार्थ चटर्जी को मामले को देखने की जिम्मेदारी दी थी। पार्टी की अनुशासन समिति के प्रमुख और एक वरिष्ठ नेता पार्थ ने विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों से बात की। उसके बाद यह बताया गया कि दोनों नेताओं ने बयानबाजी बंद करने का फैसला किया है।
कल्याण बनर्जी को लोकसभा के मुख्य सचेतक से इस्तीफा दे देना चाहिए : अपरूपा पोद्दार
आरामबाग से तृणमूल सांसद अपरूपा पोद्दार ने कहा है कि कल्याण बनर्जी को अब लोकसभा के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इस बार अपरूपा ने अभिषेक बनर्जी के खिलाफ बयान देने के कारण कल्याण पर हमला बोला है। अपरूपा का दावा है कि अभिषेक सिर्फ लोकसभा सांसद नहीं हैं। वह तृणमूल कांग्रेस के अखिल भारतीय महासचिव भी हैं। इसलिए उनके खिलाफ कोई भी शिकायत पार्टी के भीतर ही की जानी चाहिए।