बोटानिकल गार्डेन में पेड़ ही निगल रहे पेड़ों को, सैकड़ों साल पुराने व विरल प्रजाति के पेड़ों पर खतरा
शिवपुर स्थित ऐतिहासिक बोटानिकल गार्डेन में पेड़ों से संबद्ध सामने आया एक मामला अपने आप में जितना विरल है उतना ही अचंभित करने वाला भी।
हावड़ा, जागरण संवाददाता। शिवपुर स्थित ऐतिहासिक बोटानिकल गार्डेन में पेड़ों से संबद्ध सामने आया एक मामला अपने आप में जितना विरल है उतना ही अचंभित करने वाला भी। गार्डेन के सैकड़ों साल पुराने व विरल प्रजाति के कई पेड़ों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। स्थिति यह है कि गार्डेन में एक सदी पुराने ऐसे कई विरल प्रजाति के पेड़ थे, जिनका अब कोई सुराग नहीं मिल रहा है। इस मामले में जांच के बाद पता चला है कि दरअसल इन पेड़ों को विशेष प्रजाति के कुछ पेड़ ही निगल रहे हैं।
इस मामले के सामने आने के बाद एक तरफ जहां प्रबंधन की नींद खुल गई है, वहीं पर्यावरण प्रेमियों में इसे लेकर नाराजगी का माहौल व्याप्त है। गार्डेन प्रबंधन के अनुसार गार्डेन में लगभग एक सदी पुराने व विरल प्रजाति के कई पेड़ थे, जिनका आज कोई अस्तित्व नहीं है। उनके अनुसार ,असल में कुछ विशेष प्रजाति के पेड़ों द्वारा ही इन पुराने व विरल प्रजाति के पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है। हो यह रहा है कि कुछ पेड़ अपने आसपास के कुछ विरल प्रजाति के पेड़ों को अपने आगोश में ले रहे हैं। ये पेड़ धीरे-धीरे विशेष प्रजाति के पेड़ों को चारों ओर से अपने आवरण से लगभग पूरी तरह से ढक ले रहे हैं। इससे पुराने पेड़ों का मूल अंश लगभग पूरी तरह से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है।
जबकि उसके स्थान पर विशेष प्रजाति के पेड़ ने अपना कब्जा जमा लिया है। इधर पर्यावरणविदों की माने, प्रबंधक स्तर पर गार्डेन में स्थित पेड़ों के रखरखाव व निगरानी में कमी के कारण कथित तौर पर ऐसा वाकया सामने आया है। वहीं पर्यावरण विशेषज्ञ वसंत सिंह ने कहा कि कई ऐसे पेड़ हैं, जो 100 साल पुराने हैं, जिनका आज अस्तित्व नहीं है। उनका कहना है कि विशेष प्रजाति के कुछ पेड़ों द्वारा ऐसे पेड़ों को पूरी तरह से ढक लिया गया है। इसके कारण है पुराने पेड़ों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। सिंह ने कहा, अब प्रबंधन ऐसे पेड़ों की पहचान कर उसके बचाव को कदम उठा रहा है।