बच्चों को उत्पीड़न से बचाने के लिए उठाए जाएंगे ये बडे कदम
इस व्हाट्सएप नंबर पर फोन तो नहीं हो सकेगा लेकिन मैसेज, चित्र और वीडियो भेज कर बच्चे अपने साथ किसी भी तरह के अत्याचार की जानकारी दे सकेंगे।
जागरण संवाददाता, कोलकाता । पश्चिम बंगाल सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों और बच्चियों को यौन उत्पीड़न समेत अन्य अत्याचारों से बचाने के लिए अब स्कूल की किताबों में जागरूकता संबंधी पाठ्यक्रम समाहित करने जा रहा है।
विभाग के एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के साथ इसे लेकर बैठक हुई है और इस बात पर सहमति बनी है कि शिशु अधिकार रक्षा आयोग, पुलिस, परिवहन और बच्चों की सुरक्षा से जुड़े अन्य विभागों के विशेषज्ञों की सलाह पर पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।
इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से छात्र-छात्राओं को मिलने वाली सुविधाओं को शिक्षा वर्ष 2019 की किताबों में समाहित किया जाएगा। तीसरी क्लास से दसवीं तक के बच्चों की किताबों की जिल्द पर जागरूकता संबंधी बातें लिखी रहेंगी जिसमें यह बताया जाएगा कि अगर कोई अश्लील इरादे से छूता है तो उसे कैसे पहचाने, उसके खिलाफ किस तरह से विरोध करें, कार्रवाई का क्या प्रावधान है और पुलिस तथा अन्य एजेंसियों तक कैसे इन बातों को पहुंचाएं।
उक्त अधिकारी ने बताया कि पांचवी से दसवीं तक के 40 लाख 33 हजार 886 बच्चों को राज्य सरकार की ओर से मुफ्त में दी जाने वाली किताबों में ज़िल्द पर तो सतर्कतामूलक बातें लिखी ही रहेंगी, इसके साथ ही पाठ्यक्रमों में भी स्कूलों में यौन उत्पीड़न की पहचान, उससे बचाव और जागरूकता के विषय समाहित किए जा रहे हैं। ऐसी किताबों की छपाई भी शुरू हो चुकी है।
राज्य सरकार ने इसके लिए ₹58 करोड़ रुपये खर्च की है। पांचवी से दसवीं तक के बच्चों को पांच किताबें दी जाएंगी जबकि उससे नीचे के बच्चों को चार किताबें मिलेंगी जिस पर चाइल्ड लाइन का हेल्पलाइन नंबर 1098 एवं शिशु अधिकार सुरक्षा कमिशन का नया व्हाट्सएप नंबर 9836300399 अंकित रहेगा। इस व्हाट्सएप नंबर पर फोन तो नहीं हो सकेगा लेकिन मैसेज, चित्र और वीडियो भेज कर बच्चे अपने साथ किसी भी तरह के अत्याचार की जानकारी दे सकेंगे।
उक्त अधिकारी ने बताया कि स्कूल में बच्चियों को अगर कोई छूता है तो उसका इरादा क्या है, कोई अगर उसे गैर जरूरी तरीके से बुलाकर स्कूल से दूर ले जा रहा है अथवा रास्ते में कोई उसे किसी तरह से गलत इरादे से अपने साथ ले जाने की कोशिश करें तो बच्चे कैसे पहचानेंगे, इस बारे में विस्तार से किताब में समझाया गया है। इससे बच्चियों को अपने खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों को समझने में मदद मिलेगी और संबंधित विभागों से समन्वय बनाकर इस पर रोक लगाया जा सकेगा। इसके पठन-पाठन के लिए शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।