दूसरों को जिंदगी देने के पुण्य कर्म अंगदान में प. बंगाल के लोगों की जागरूकता तेजी से बढ़ी
मरने के बाद भी दूसरों को जिंदगी देने के पुण्य कर्म अंगदान के प्रति हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल के लोगों की जागरूकता तेजी से बढ़ी है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में इलाजरत एक व्यक्ति के शरीर में हृदय और एसएसकेएम के दो रोगियों के शरीर में किडनी प्रतिस्थापन पूरी तरह से सफल रहा है। जिन लोगों के शरीर में इन्हें प्रतिस्थापित किया गया है उनकी हालत 24 घंटे के बाद सुधर रही है।
रविवार को दोनों अस्पतालों की ओर से जानकारी दी गई है। शनिवार को इनके शरीर में अंगों का प्रतिस्थापन किया गया था। दरअसल प्रतिस्थापन के बाद 24 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं जिसमें यह साफ होता है कि ऑपरेशन सफल रहा है या नहीं। बताया गया है कि तीनों ही मरीजों की हालत बिलकुल स्थिर है और धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
ज्ञात हो कि शनिवार को कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रानीगंज के 38 वर्षीय रखाल दास के शरीर में हृदय स्थापित किया गया था। 24 घंटे बाद उनकी हालत ठीक है और धीरे-धीरे उनकी हालत सुधर रही है। सोमवार को अगर सब कुछ ठीक रहा तो उन्हें वेंटीलेशन से हटाकर इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में शिफ्ट कर दिया जाएगा। उसी तरह से एसएसकेएम अस्पताल में पवन कुमार राय (32) और आजवान शेख (34) नाम के रोगियों के शरीर में किडनी प्रतिस्थापित की गई थी। उनकी भी हालत सुधर रही है और इन्हें भी सोमवार को वेंटीलेशन से हटाकर आईसीयू में शिफ्ट कर दिया जाएगा। जहां करीब एक सप्ताह तक रखने के बाद इन्हें साधारण वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा।
बताया गया है कि 15 दिनों से एक महीने के भीतर यह तीनों स्वस्थ हो जाएंगे और इन्हें घर भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि मरने के बाद भी दूसरों को जिंदगी देने के पुण्य कर्म अंगदान के प्रति हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल के लोगों की जागरूकता तेजी से बढ़ी है। इसी कड़ी में शनिवार सुबह भी राजधानी कोलकाता में ब्रेन डेड एक व्यक्ति के परिजनों ने उसके छह अंगों को दान किया था।
दक्षिण 24 परगना के पुजाली के रहने वाले सैकत लाटू नाम के एक 32 साल के व्यक्ति को कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल के चिकित्सकों ने शुक्रवार रात ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। उसके बाद शनिवार सुबह सैकत के पिता और अन्य परिजनों को चिकित्सकों ने समझाया कि उसके शरीर के कई अंग अभी भी काम कर रहे हैं और उसके जरिए किसी दूसरे को नई जिंदगी दी जा सकती है। इसके बाद पिता तुरंत अंगदान के लिए तैयार हो गए। सैकत की दोनों किडनी, लिवर, हृदय, चमड़ा और दोनों आंखें दान की गई हैं। इसमें से लिवर की जांच के बाद पता चला है कि वह 75 फ़ीसदी खराब हो चुका है इसलिए किसी दूसरे के शरीर में प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकेगा लेकिन हृदय को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर शनिवार सुबह सिर्फ 6 मिनट के अंदर एसएसकेएम से कलकत्ता मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया जहां रानीगंज निवासी 38 साल के रखाल दास के शरीर में प्रतिस्थापित किया गया है।
बताया गया है कि वह 15-20 दिनों से हृदय की समस्याओं को लेकर अस्पताल में इलाजरत थे। इसके अलावा सैकत की दोनों आंखें शंकर नेत्रलय को दान दी गई हैं। चमड़े को एसएसकेएम अस्पताल के स्कीन बैंक में रखा गया है जो छात्रों के अध्ययन के काम में आएगा और दोनों किडनी एसएसकेएम अस्पताल में ही 32 और 34 साल के उक्त दोनों के शरीर में प्रतिस्थापित किया गया था। मेडिकल कॉलेज अस्पताल म रोग विभाग के प्रमुख पलावन मुखर्जी ने रविवार को बताया कि हृदय प्रतिस्थापित करने के बाद रखाल दास की हालत सुधर रही है और वे जल्द स्वस्थ हो जाएंगे।
इसी तरह से किडनी प्रतिस्थापित होने वाले दोनों की हालत में सुधर रही है। इसके साथ ही अस्पताल की ओर से बताया गया है कि 2017 में मेडिकल कॉलेज अस्पताल को हृदय प्रतिस्थापन का लाइसेंस मिला था। इसके बाद यह पहली बार है पर्दे पर स्थापित किया गया था और वह भी सफल हुआ है जो अपने आपमें एक कीर्तिमान हैं।
इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में अंगदान और अंग प्रतिस्थापन का भी यह पहला मामला है जो सफल रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से कोलकाता में 20 से अधिक लोगों ने अंगदान किया है और 50 से अधिक लोगों को इसके जरिए नई जिंदगी मिली है।
इसे और अधिक बढ़ावा देने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने अगले शिक्षा सत्र में आठवीं क्लास के पाठ्यRम में अंगदान से संबंधित विषय वस्तु को भी समाहित किया है जिसमें अंगदान करने वालों के बारे में भी बताया गया है और इसके मानविकता वाले पहलुओं से भी बच्चों को रूबरू कराया जाएगा।