बंगाल में लोकतंत्र की हत्या : येचुरी
-माकपा महासचिव ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना - 34.20 फीसद सीटों पर तृणमूल के निर्विरोध चुनने पर
-माकपा महासचिव ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना
- 34.20 फीसद सीटों पर तृणमूल के निर्विरोध चुनने पर उठाए सवाल
जेएनएन, कोलकाता: भाजपा के बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल काग्रेस पर पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा का हवाला देते हुये लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है। येचुरी ने पंचायत चुनाव में विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को नामाकन नहीं करने देने के कारण निर्विरोध चुनाव वाली सीटों की संख्या में इजाफा होने के लिए सोमवार को तृणमूल काग्रेस (टीएमसी) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि टीएमसी बंगाल में लोकतंत्र की हत्या कर रही है। हमारी पार्टी टीएमसी की अराजकता और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगी।
उन्होंने उन मीडिया रिपोटरें का भी हवाला दिया जिनमें पश्चिम बंगाल में साल 1978 से अब तक हुए नौ पंचायत चुनावों में ऐसी सीटों की संख्या में लगतार इजाफा हुआ है जिन पर एक से अधिक उम्मीदवार नहीं होने के कारण चुनाव नहीं लड़ा गया। रिपोर्ट के अनुसार साल 1978 के पंचायत चुनाव में ऐसी सीटें 0.73 प्रतिशत थी जो साल 2018 में बढ़कर 34.20 प्रतिशत हो गयी है।
इस बीच येचुरी ने माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में भी अपने लेख में पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं से देश के समक्ष उपजी विभाजनकारी चुनौतियों से एकजुट होकर सामना करने का आह्वान किया। लेख में येचुरी ने हाल ही में संपन्न हुए माकपा की पार्टी काग्रेस में पार्टी नेताओं के बीच व्यक्त की गई एकजुटता का हवाला देते हुए कहा 'देश और देश की जनता के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों को परास्त करने के लिए समूची पार्टी को एक व्यक्ति के समान खड़ा करना होगा।
माकपा और वाम दलों की एकजुटता के लिए संगठित होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 'पार्टी काग्रेस के दौरान माकपा नेतृत्व में दरार आने की बातें मीडिया रिपोटरें के माध्यम से प्रसारित की गईं, जबकि हकीकत में पार्टी, इस सम्मेलन में पहले से कहीं अधिक एकजुट होकर उभरी और मौजूदा चुनौतियों को परास्त करने का संकल्प भी लिया।
लेख में येचुरी ने लिखा है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और मोदी सरकार के प्रति मददगार की भूमिका में कार्यरत तथाकथित अधिपत्यवादी वर्ग और कार्पोरेट मीडिया ने पार्टी के सम्मेलन के समय माकपा को एक विभाजित कुनबे की तरह पेश करने की मुहिम चलाई थी, लेकिन सम्मेलन में इसके उलट तस्वीर उभर कर सामने आई। उन्होंने लिखा है कि पार्टी काग्रेस में यह भी साबित हुआ कि माकपा देश की एकमात्र राजनीतिक पार्टी है जिसमें वास्तविक आतरिक लोकतंत्र है। यह पार्टी की अंदरूनी ताकत को मजबूती प्रदान करता है।