West Bengal: टीएमसी नहीं छोड़ने का सांसद शताब्दी रॉय को मिला इनाम, पार्टी ने दी बड़ी जिम्मेदारी
West Bengal बीरभूम से तृणमूल सांसद शताब्दी ने हाल में पार्टी के खिलाफ असंतोष व्यक्त कर संक्षिप्त अवधि की बगावत के बाद हालांकि पार्टी से समझौता कर लिया था। इसके बाद पार्टी नहीं छोड़ने का इनाम के तौर पर तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें उपाध्यक्ष के रूप में बड़ी जिम्मेदारी दी।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद शताब्दी रॉय को रविवार को पार्टी की बंगाल इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। बीरभूम से तृणमूल सांसद शताब्दी ने हाल में पार्टी के खिलाफ असंतोष व्यक्त कर संक्षिप्त अवधि की बगावत के बाद हालांकि पार्टी से समझौता कर लिया था। इसके बाद पार्टी नहीं छोड़ने का इनाम के तौर पर तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें उपाध्यक्ष के रूप में बड़ी जिम्मेदारी दी है। इससे पहले उनके भाजपा में जाने की अटकलें थीं। इधर, पार्टी में एक अहम जिम्मेदारी दिए जाने पर खुशी प्रकट करते हुए शताब्दी ने संवाददाताओं से कहा कि वह पार्टी की एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगी और आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार सुनिश्चित करेंगी। राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
शताब्दी ने कहा कि यदि आप पार्टी से जुड़े विषय को शीर्ष नेतृत्व तक ले जाते हैं तो इसका समाधान हो जाता है। यह घटनाक्रम यही साबित करता है। उन्होंने पार्टी संगठन में फेरबदल के तहत उन्हें प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर कहा कि मैं फैसले का स्वागत करती हूं। दरअसल, अभिनय की दुनिया से राजनीति में आईं शताब्दी रॉय ममता बनर्जी की पार्टी के फिल्म संस्कृति से जुड़े लोगों में प्रमुख चेहरा हैं। बीरभूम से वह लगातार तीसरी बार लोकसभा सदस्य हैं। वह उन प्रमुख नेताओं में शामिल हैं, जो 2009 में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के सिंगुर और नंदीग्राम आंदोलनों में शामिल रही थीं। इन आंदोलनों ने राज्य में वाममोर्चा के शासन को समाप्त कर दिया था और ममता के राज्य की सत्ता में काबिज होने का मार्ग प्रशस्त किया था।
पार्टी के कार्यक्रमों के बारे में सूचना नहीं दिए जाने को लेकर प्रकट किया था असंतोष
दरअसल, शताब्दी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी के कार्यक्रमों के बारे में सूचना नहीं दिए जाने को लेकर शुक्रवार को असंतोष प्रकट किया था और कहा था कि इससे उन्हें तकलीफ पहुंची है। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि वह शनिवार को लोगों को इस बारे में सूचना देंगी कि क्या वह कोई फैसला लेती हैं, जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने उनसे संपर्क साधना शुरू कर दिया था। हालांकि, उन्होंने अपना रुख बदला और ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा प्रकट किया। उन्होंने शुक्रवार शाम डायमंड हार्बर के सांसद व मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी से मुलाकात भी की थी। तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने भी पार्टी नहीं छोड़ने के लिए मनाने के वास्ते शताब्दी से मुलाकात की थी। अपनी शिकायतों का निवारण होने के बाद शताब्दी ने शनिवार को अभिषेक की सराहना की। अभिषेक के साथ करीब दो घंटे तक चली बैठक से लौटने पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वह तृणमूल कांग्रेस में ही रहेंगी।