Move to Jagran APP

तीन साल बाद सक्रिय राजनीति में नजर आए बिमल गुरुंग का हश्र कहीं किशनजी की तरह न हो : अधीर रंजन चौधरी

West Bengal Politics प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बिमल गुरुंग को लेकर जताई चिंता। किशनजी भी साल 2011 में ममता को मुख्यमंत्री देखना चाहते थे। नतीजा हुआ कि 2011 चुनावों में ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं जबकि किशनजी जंगलमहल में पुलिस के साथ हुई झड़प में मारे गये।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:02 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:02 PM (IST)
तीन साल बाद सक्रिय राजनीति में नजर आए बिमल गुरुंग का हश्र कहीं किशनजी की तरह न हो : अधीर   रंजन चौधरी
कहा-गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग की हालत माओवादी नेता किशनजी जैसी है।

राज्य ब्यूरो कोलकाता : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग की हालत माओवादी नेता किशनजी जैसी है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कहीं विमल गुरुंग का हश्र भी किशनजी की तरह ना हो जाए। 

loksabha election banner

अधीर ने कहा- तीन साल के अंतराल के बाद बुधवार को कोलकाता पहुंचे बिमल गुरुंग ने कहा कि वह 2021 के चुनावों में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। बंगाल के लोग पहले से ही ममता सरकार से पीड़ित हैं। ऐसे में वह उनकी पीड़ा में वृद्धि न करें!

उन्होंने कहा कि बिमल गुरुंग पिछले तीन साल से फरार चल रहे थे। अचानक वह कोलकाता में मीडिया के सामने आते हैं और एनडीए सरकार से अपना नाता तोड़ते हुए ममता बनर्जी का समर्थन करते नजर आते हैं। गुरुंग ने इस दौरान केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पीएम मोदी ने छह साल तक अपना वादा नहीं निभाया।

लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने सभी वादों को पहाड़ के लोगों के सामने रखा और उसे पूरा किया। एनडीए से समर्थन वापस लेते हुए उन्होंने कहा कि वह जमीनी स्तर पर गठबंधन बनाना चाहते हैं व 2021 के चुनावों में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।

अधीर ने इस पर कहा कि किशनजी भी साल 2011 में ममता को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते थे। उस दौरान जंगलमहल जल रहा था। जंगलमहल में माकपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की हत्या के लिए हर दिन खून बह रहा था।

माओवादियों की छत्र छाया में पुलिस विरोधी लोगों की समिति भी उस समय काफी मजबूत थी और केंद्रीय बल भी जंगलमहल में माओवादियों को दबाने के लिए संघर्ष कर रहा था। समय-समय पर किशनजी टीवी चैनल पर कॉल कर ममता बनर्जी के पक्ष में माहौल बना रहे थे। 

नतीजा यह हुआ कि 2011 के चुनावों में जबर्दस्त जीत से ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं, जबकि किशनजी जंगल में पुलिस के साथ हुई झड़प में मारे गये। अधीर चौधरी ने पूछा कि ममता बनर्जी राजनीतिक ताकत हासिल करने के लिए कितनी दूर जायेंगी। उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के जमीन के नीचे की मिट्टी कमजोर है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.