'तीसरा लिंग समुदाय को बनानी चाहिए नई पहचान
तीसरा लिंग समुदाय को अपने पुराने सांचे से निकलकर नई पहचान बनानी चाहिए। ऐसी लड़ाइयां लड़ने का एकमात्र तरीका अपनी पहचान को पूरी तरह से स्वीकार करना है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। तीसरा लिंग समुदाय को अपने पुराने सांचे से निकलकर नई पहचान बनानी चाहिए। भारतीय उद्योग महासंघ की ओर से आयोजित वार्ता सत्र को संबोधित करते हुए एलजीबीटी कार्यकर्ता अनिंद्य हाजरा ने ये विचार व्यक्त किए।
उन्होंने आगे कहा-'तीसरा लिंग समुदाय वाले एक ही समय अदृश्य एवं बेहद दृश्य, दोनों हैं। ऐसी लड़ाइयां लड़ने का एकमात्र तरीका अपनी पहचान को पूरी तरह से स्वीकार करना है। खुद की पहचान अंदर से स्वीकार करनी चाहिए।'
हाजरा ने कहा-'भारत में लिंग असमानता सूचकांक 0.60 से 0.65 के बीच है। इस सूचकांक में सुधार होने से हमारा जीडीपी प्रत्यक्ष रूप से बेहतर होगा। लिंग एक स्पेक्ट्रम है, जो व्यक्ति की योग्यता की राह में नहीं आना चाहिए।'
वार्ता सत्र को संबोधित करते हुए मानवी मुखोपाध्याय ने कहा कि उनके लिए बतौर ट्रांसजेंडर एक प्रतिष्ठित कॉलेज की प्रिंसिपल बनना आसान नहीं रहा। मानवी ने बताया कि सक्षम होने के बावजूद किस तरह से उनका मजाक उड़ाया जाता था।
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में सिर्फ 25 फीसद महिलाएं कंपनियों के कार्य स्थलों पर काम करती हैं और करियर में विराम लेने के बाद 18 फीसद महिलाएं काम पर नहीं लौटती हैं। इंस्टीच्यूट ऑफ कस्टमर एक्सपीरियंस के टेक्निकल स्टाफ के ग्लोबल चीफ अपाला लाहिड़ी ने कहा-'बेहतर उत्पादकता के लिए कार्य स्थल पर पुरूष-महिलाओं के बीच बेहतर अनुपात होना जरुरी है। हम इस बात को भी सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि पुरूष व महिला, दोनों का वेतन एक समान हो।
मी टू अभियान पर कार्यकर्ता स्वाति गौतम ने कहा-'यह आंदोलन से ज्यादा सक्रियता थी, जिसमें महिलाओं ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई।