कोलकाता में ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के पूरा होने में हो सकती है एक साल तक की देरी
राजधानी कोलकाता में महत्वाकांक्षी ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के तहत भूमिगत सुरंग बोरिंग कार्य के कारण बहूबाजार में एक बार फिर कई घरों में ताजा दरारें आने के कारण इस परियोजना के पूरा होने में लगभग एक वर्ष की देरी हो सकती है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राजधानी कोलकाता में महत्वाकांक्षी ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के तहत भूमिगत सुरंग बोरिंग कार्य के कारण बहूबाजार में एक बार फिर कई घरों में ताजा दरारें आने के कारण इस परियोजना के पूरा होने में लगभग एक वर्ष की देरी हो सकती है। ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसी कोलकाता मेट्रो रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) के शीर्ष अधिकारी ने इसकी आशंका जताई है। केएमआरसीएल ताजा घटना के बाद परियोजना की लागत बढऩे के एक नए दौर की आशंकाओं से भी घिरी हुई है। यह परियोजना हावड़ा स्टेशन को साल्टलेक में सेक्टर-5 में आइटी हब से जोड़ेगी। जिसके जनवरी 2023 तक पूरा होने का अनुमान था।
केएमआरसीएल के प्रबंध निदेशक चंद्रनाथ झा के अनुसार, अब मध्य कोलकाता में भीड़भाड़ वाले बहूबाजार के दुर्गा पिटुरी लेन में कई घरों में ताजा दरारें आने के बाद परियोजना के पूरा होने में आठ से नौ महीने की देरी होगी। उन्होंने कहा कि यह देरी भूमिगत सुरंग की मरम्मत और बेहतर रखरखाव के कारण होगी। झा ने कहा कि एक दुर्घटना हुई है और इसलिए इसे पूरा करने की समयसीमा बढ़ाने की जरूरत है। केएमआरसीएल के सूत्रों ने कहा कि इस बार देरी होने का मतलब निश्चित रूप से लागत को बढ़ाएगा। केएमआरसीएल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, सटीक लागत ओवररन अभी निर्धारित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह परियोजना के वास्तविक समापन के अंतिम समय और अतिरिक्त मरम्मत और रखरखाव कार्य पर निर्भर करेगा, जिसे विशेष रूप से कमजोर बिंदुओं से गुजरने की जरूरत है, जहां से भूमिगत सुरंग गुजरेगी। संयोगवश यदि सुरंग मार्ग में संशोधन करने की आवश्यकता या बाध्यता होगी तो लागत अधिक होगी। यदि ऐसा होता है, तो यह दूसरी बार होगा जब परियोजना को लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ेगा। सुरंग मार्ग के परिवर्तन के कारण पहले ही इसे भारी लागत का सामना करना पड़ा था।
गौरतलब है कि सुरंग मार्ग योजना में पहला परिवर्तन 2014 में लाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप मार्ग का 1.87 किलोमीटर का विस्तार हुआ। इसलिए परियोजना की लागत 4,874 करोड़ रुपये के शुरुआती अनुमान से बढ़कर 8,996 करोड़ रुपये हो गई, जिसके परिणामस्वरूप 4,122 करोड़ रुपये की लागत बढ़ गई। तदनुसार, जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआइसीए) से परियोजना के लिए ऋण सहायता में भी वृद्धि हुई। यह पता चला है कि शुरू में केएमआरसीएल और जेआइसीए दोनों ही लागत बढऩे को ध्यान में रखते हुए इस सुरंग मार्ग परिवर्तन के खिलाफ थे। हालांकि, अंतत: मार्ग परिवर्तन हुआ।
मकानों में दरार से दहशत में हैं लोग
गौरतलब है कि मेट्रो परियोजना के लिए चल रहे निर्माण कार्य के बीच बहूबाजार इलाके में बुधवार देर रात फिर कई मकानों में दरारें देखे जाने के बाद लोग दहशत में आ गए। करीब 10-12 मकानों में दरारें आई है, जिसके बाद इनमें रह रहे लोगों को फिलहाल होटलों में शिफ्ट किया गया है। बता दें कि इस इलाके में करीब ढाई साल पहले भी इसी तरह की घटना घटी थी, जब मेट्रो सुरंग की खुदाई के दौरान कई मकानों में दरारें आ गई थीं। इसके चलते लंबे समय तक परियोजना का काम ठप रहा था।