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हुगली जिले के कोन्नगर स्थित राज राजेश्वरी मंदिर में स्वास्थ्य नियमों का पालन करते कुंवारी पूजन का हुआ आयोजन

22 अप्रैल को दशमी के दिन हवन के साथ इसका विसर्जन किया जाएगा। मंदिर में भक्तों की भीड़ कम हो इसके लिए काफी एहतियात बरते जा रहे हैं। मंदिर में पूरी विधि के साथ माता रानी की नौ दुर्गा के रूपों में पूजा की जा रही है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 08:19 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 08:19 PM (IST)
हुगली जिले के कोन्नगर स्थित राज राजेश्वरी मंदिर में स्वास्थ्य नियमों का पालन करते कुंवारी पूजन का हुआ आयोजन
नवरात्रि पर मंदिर परिसर में मां भगवती की आराधना के लिए 1008 दीप का अखंड ज्योत जलाए जा रहे हैं।

 जासं, कोलकाता : कोरोना के प्रकोप के बीच मंगलवार को हुगली जिले के कोन्नगर स्थित राज राजेश्वरी मंदिर में कोरोना संबंधी स्वास्थ्य नियमों का पालन करते हुए महाअष्टमी की पूजा की गई। प्रांत माता त्रिपुर सुंदरी का प्रथम महागौरी के रूप में श्रृंगार किया गया। इसके बाद ब्रह्मचारी सच्चित स्वरूप महाराज ने महाअष्टमी के दिन माता महागौरी की विधिवत पूजा-अर्चना की। इस मौके पर माता रानी की विशेष आरती का भी आयोजन किया गया। आरती समाप्त होने के बाद मंदिर के पुरोहितों ने कुंवारी पूजन का आयोजन किया। 

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अष्टमी पर माता रानी की विशेष आरती का भी आयोजन किया 

आठ कुंवारी कन्याओं को माता रानी की तरह सजाकर पुरोहितों ने उनकी आराधना की। बताया गया है कि महाअष्टमी के दिन कुंवारी कन्या का पूजन करनेसे मां भगवती प्रसन्न होती हैं और भक्तों के पाप का हरण करती हैं। मंदिर परिसर में माता रानी के रूप में कन्याएं सुशोभित नजर आ रही थीं। आठ कन्याओं के बीच एक बालक ने बाबा भैरव का रूप धारण किया हुआ था। पुरोहितों ने उस बालक की भी पूजा की। 

शारीरिक दूरी के नियम का पालन कर माता का दर्शन-पूजन

श्रीधर द्विवेदी ने बताया-'प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि के अष्टमी के दिन मंदिर परिसर में भंडारा का आयोजन करके हजारों कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। इस वर्ष कोरोना के प्रकोप के कारण स्वास्थ्य विधि को मानते हुए ही हम लोगों ने मंदिर में पूजन का आयोजन किया है। सुबह शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए भक्तों ने मंदिर में प्रवेश कर माता रानी का दर्शन-पूजन किया। 

 मां भगवती की आराधना के लिए 1008 अखंड दीप जला रहे

सच्चित स्वरूप महाराज ने बताया कि 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का आरंभ हुआ है। 22 अप्रैल को दशमी के दिन हवन के साथ इसका विसर्जन किया जाएगा। मंदिर में भक्तों की भीड़ कम हो, इसके लिए काफी एहतियात बरते जा रहे हैं। मंदिर में पूरी विधि के साथ माता रानी की नौ दुर्गा के रूपों में पूजा की जा रही है। नवरात्रि के मौके पर मंदिर परिसर में मां भगवती की आराधना के लिए 1008 दीप का अखंड ज्योत जलाए जा रहे हैं।


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