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बंगाल में बढ़ा सामुदायिक संक्रमण का खतरा, सीरोलॉजिकल सर्वे में जताई गई आशंका

कोलकाता के करीब 16 वार्ड में 396 लोगों की आइजीजी (इम्यूनोग्लोबुलिन जी) जांच में 57 लोग आइजीजी पॉजिटिव पाये गये।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 12:38 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 12:38 PM (IST)
बंगाल में बढ़ा सामुदायिक संक्रमण का खतरा, सीरोलॉजिकल सर्वे में जताई गई आशंका
बंगाल में बढ़ा सामुदायिक संक्रमण का खतरा, सीरोलॉजिकल सर्वे में जताई गई आशंका

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में कोलकाता की स्थिति बेहद खराब है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के एक ताजा सीरोलॉजिकल सर्वे में यह खुलासा हुआ है। जानकारी के अनुसार एंटीबॉडी जांच के लिए आइसीएमआर की ओर से कोलकाता सहित राज्य के छह जिलों में रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग की गयी थी। कोलकाता के करीब 16 वार्ड में 396 लोगों की आइजीजी (इम्यूनोग्लोबुलिन जी) जांच की गयी थी। जांच में कोलकाता में 57 लोग आइजीजी पॉजिटिव पाये गये हैं।

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यानी ये सभी लोग इससे पहले कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं और अब तक इन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी तैयार हो चुका है। भविष्य में इन लोगों के कोरोना से संबंधित संक्रमण की चपेट में आने की संभवान कम रहेगी, लेकिन चिकित्सकों की मानें तो यह शुभ संकेत नहीं है। इसका मतलब साफ है कि कोलकाता में असिमटोमेटिक लोगों (बिना लक्षण के) की संख्या बढ़ रही है। ऐसे लोगों को पता भी नहीं चल पर रहा है कि वह कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। यानी महानगर सामुदायिक संक्रमण की ओर बढ़ रहा है।

जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में कोलकाता की स्थिति बेहद खराब है। अलीपुरदुआर, बांकुड़ा, झाड़ग्राम, दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर में भी आइसीएमआर ने सर्वे किया था। कोलकाता में 396 एवं अन्य जिलों से 400 लोगों के खून के नमूने संग्रहित किये गये थे। जांच में अलीपुरदुआर में चार, बांकुड़ा व झाड़ग्राम में एक-एक, दक्षिण 24 परगना में 10 एवं पूर्व मिदनापुर में तीन लोग संक्रमित पाये गये हैं। यानी आइजीजी पॉजिटिव के मामले में दक्षिण 24 परगना जिला कोलकाता के बाद दूसरे स्थान पर है। इससे संकेत मिलता है कि अब दक्षिण 24 परगना जिला भी सामुदायिक संक्रमण संक्रमण की ओर बढ़ रहा है।

सीरोलॉजिकल सर्वे क्या है :

इसके तहत एंडीबॉडीज का पता लगाया जाता है। खून के नमूनों की जांच की जाती है। इससे कोरोना वायरस के प्रसार के स्तर पता चलता है।


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