शह मात का खेल : विस चुनाव से पहले ममता के मास्टरस्ट्रोक से पार्टी को मिली ताकत, बंगाल भाजपा की बढ़ाई परेशानी
शह मात का खेल-गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरुंग के तृणमूल को समर्थन देने के ऐलान से विस चुनाव से पहले पहाड़ में पार्टी को मिली ताकत। पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो के तृणमूल में शामिल होने के बाद जंगलमहल में पार्टी को मिली है नई जान।
इंद्रजीत सिंह, कोलकाता : बंगाल में साल की शुरुआत में पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो के तृणमूल में शामिल होने के बाद पिछले दिनों गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) के प्रमुख बिमल गुरुंग के पार्टी को समर्थन देने के ऐलान से जहां तृणमूल कांग्रेस को विधानसभा चुनाव से पहले ताकत मिली है वहीं यह भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन गया है। क्योंकि एक तरफ पहाड़ पर जहां बिमल गुरुंग का प्रभुत्व है तो दूसरी तरफ जंगलमहल में छत्रधर महतो का। यह पूरा खेल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। वहीं इस पूरे घटनाक्रम के पीछे मुख्य रणनीतिकार प्रशांत किशोर माने जा रहे हैं। अब देखना है कि भाजपा इस शह मात के खेल में अपनी चाल क्या चलती है।
कुछ वर्षों में भाजपा मजबूूूूती से उभरी है
खासकर उत्तर बंगाल तथा जंगलमहल में पिछले लोकसभा चुनाव तथा पंचायत चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था तथा तृणमूल से लगभग सभी सीटें छीन ली थी। इन क्षेत्रों में भाजपा की मजबूती तृणमूल कांग्रेस को बेचैन कर रही थी। पश्चिम मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया तथा बांकुड़ा के कुछ अंश को जंगलमहल कहा जाता है। इस पिछड़े इलाके में पिछले कुछ वर्षों में भाजपा मजबूती से उभर कर सामने आई है।
पूर्व माओवादी नेता महतो का मिला सहारा
जंगलमहल में खासकर झाड़ग्राम में पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो अच्छी पकड़ है, लेकिन कई आपराधिक मामलों में वह लगभग 11 वर्ष से जेल में थे। फरवरी 2020 में जेल से रिहा होने के बाद वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए तथा पार्टी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण पद भी दे दिया।
पहाड़ की राजनीति ने अचानक ली करवट
महतो के पार्टी में शामिल होने से तृणमूल को क्षेत्र में उसकी खोई ताकत मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। अब कई आपराधिक मामलों में तीन वर्ष से फरार गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग के पिछले दिनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता तोड़कर विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को समर्थन करने के ऐलान से पहाड़ की राजनीति ने अचानक करवट ली है।
तीन महीने पहले ही तैयार हुआ था स्क्रिप्ट
सूत्रों का कहना है कि तीन महीने पहले ही दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ बिमल गुरुंग की बैठक हुई थी तथा वहीं इसका पूरा स्क्रिप्ट तैयार हो गया था। इधर बंगाल भाजपा भले ही गुरुंग और महतो को ज्यादा अहमियत नहीं दे रही है, फिर भी उसे पता है कि यह उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। अब देखना है कि भाजपा इस शह मात के खेल में अपनी अगली चाल क्या चलती है।