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राज्य के पहले ‘जरी हब’ का उद्घाटन, सांकराइल के 14,000 वर्ग फीट इलाके में बनेगा हब

सांकराइल के फुड पार्क में कुल 14,000 स्क्वायर फीट इलाके में बन रहे इस हब के स्थापित होने के बाद 20,000 से ज्यादा जरी कारीगरी से जुड़े लोग लाभान्वित होंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 02:58 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 02:58 PM (IST)
राज्य के पहले ‘जरी हब’ का उद्घाटन, सांकराइल के 14,000 वर्ग फीट इलाके में बनेगा हब
राज्य के पहले ‘जरी हब’ का उद्घाटन, सांकराइल के 14,000 वर्ग फीट इलाके में बनेगा हब

जागरण संवाददाता, हावड़ा । ग्रामीण हावड़ा के सांकराइल में प्रस्तावित राज्य के प्रथम ‘जरी हब’ का उद्घाटन मार्च माह में हो सकता है। इसकी तैयारियां विभागीय स्तर पर तेजी से चल रही है। ‘जरी हब’ के निर्माण का काम अपने अंतिम चरण में है। सांकराइल के फुड पार्क में कुल 14,000 स्क्वायर फीट इलाके में बन रहे इस हब के स्थापित होने के बाद 20,000 से ज्यादा जरी कारीगरी से जुड़े लोग लाभान्वित होंगे। पश्चिम बंगाल औद्योगिक आधारभूत विकास निगम (डब्ल्यूबीआइआइडीसी) की ओर से इस योजना के लिए जमीन दी गई है।

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जरी व्यवसाय को मिलेगा बढ़ावा

हावड़ा के ग्राणीण इलाका जरी कारीगरी व व्यवसाय के लिए ना केवल राज्य बल्कि देश-विदेश में भी मशहूर है। यहां के हजारों परिवार इस पेश में है और इससे होने वाली आय से अपनी आजीविका चलाते हैं। हालांकि समय के साथ इस पेशे में आई प्रतिद्वंद्विता व अन्य बाधाओं के कारण जिले में इस व्यवसाय को हाल के दिनों में काफी नुकसान पहुंचा है। परिणाम स्वरूप इसकी रफ्तार सुस्त हुई है।

विभागीय जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत जिले के पांच ब्लाकों में समन्वय केंद्र स्थापित करने का काम तेजी से चल रहा है। इनमें सांकराइल, जगतबल्लभपुर, डोमजूर, पांचला और उलबेड़िया में समन्वय केंद्र शामिल हैं।

जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक अशोक सिंह राय के अनुसार फिलहाल ‘जरी हब’ को जल्द से जल्द चालू करने पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। कहा, इस कार्य में कुटीर उद्योग विभाग से भी काफी मदद मिल रही है। ‘जरी हब’ स्थापित होने के बाद जरी कारोबार से जुड़े जिले के लगभग 20 हजार से ज्यादा लोगों को फायदा होगा।

उल्लेखनीय है कि जरी कारीगरी में ऐसे कई सुक्ष्म व महीन काम हैं, जिन्हे पूरा करने के लिए उन्नत व आधुनिक मशीनों की आवश्यकता पड़ती है। चूंकि इन मशीनों की लागत काफी है, यही कारण है कि जरी कारीगरों व कारोबारियों के लिए इन मशीनों को खरीद पाना मुमकिन नहीं है।

इस योजना के तहत उन्नत मशीनों तक कारीगरों की सुलभ पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही इन समन्वय केंद्रों का इस्तेमाल जरी उत्पादों के विपणन के लिए भी होगा। यहां से अपने उत्पादों को ना केवल प्रदेश बल्कि देश व विदेश के बाजारों में भी भेजना आसान हो जाएगा। विभागीय जानकारी के अनुसार इस योजना के शुरू होने के बाद एक ओर जहां हजारों जरी कारीगर व इससे जुड़े लोग लाभान्वित होंगे, वहीं जिले में सुस्त पड़ी जरी कारोबार को भी रफ्तार मिलेगा।


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