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गैर-जमानती धाराओं में गिरफ्तारी वारंट वाले सभी आरोपितों को चुनाव आयोग ने पकड़ने का दिया निर्देश

बंगाल में निष्पक्ष व हिंसा-मुक्त तरीके से विधानसभा चुनाव कराने के लिए उठाया गया है यह कदम। पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि उनके अधिकार क्षेत्र में जिन लोगों के खिलाफ गैर-जमानती धाराओं में वारंट जारी किया गया है उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 12:26 PM (IST)
गैर-जमानती धाराओं में गिरफ्तारी वारंट वाले सभी आरोपितों को चुनाव आयोग ने पकड़ने का दिया निर्देश
गैर-जमानती धाराओं में गिरफ्तारी वारंट वाले सभी आरोपितों को गिरफ्तार करने का निर्देश

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। चुनाव आयोग ने बंगाल के पुलिस प्रशासन को गैर-जमानती धाराओं में गिरफ्तारी वारंट वाले सभी आरोपितों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। बंगाल में ऐसे आरोपितों की संख्या करीब 50,000 बताई जा रही है। इनमें से ज्यादातर इस समय फरार हैं। सूबे में निष्पक्ष व हिंसा-मुक्त तरीके से विधानसभा चुनाव कराने के लिए यह निर्देश दिया गया है। सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि उनके अधिकार क्षेत्र में जिन लोगों के खिलाफ गैर-जमानती धाराओं में वारंट जारी किया गया है, उन्हें गिरफ्तार किया जाए। 

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चुनाव आयोग ने यह भी साफ कर दिया है कि गैर-जमानती धाराओं में आरोपित किसी के भी छह महीने से ज्यादा समय तक फरार चलने पर उसका नाम मतदाता सूची से काट दिया जाएगा। गौरतलब है कि उप चुनाव आयुक्त सुदीप जैन ने हाल में बंगाल का दौरा कर विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया था और प्रशासनिक व चुनाव अधिकारियों को जरूरी निर्देश देकर गए थे।

उप चुनाव आयुक्त ने बंगाल के सभी जिलों के डीएम व पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक की थी। उसी बैठक में यह तथ्य सामने आया था कि बंगाल में गैर-जमानती धाराओं में गिरफ्तारी वारंट वाले करीब 50,000 आरोपित हैं, जिनमें से अधिकांश भागे हुए हैं। चुनाव आयोग ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करने को कहा है।

चुनाव आयोग के निर्देश पर पुलिस प्रशासन हरकत में आया है और सभी थानों को ऐसे आरोपितों की सूची तैयार करने को कहा है। 15-15 दिनों के अंतराल में इसकी ताजा रिपोर्ट राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय में जमा करानी होगी, जहां से रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग के दफ्तर में भेजी जाएगी। गौर करने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग की ओर से इस तरह की सक्रियता अमूमन आचार संहिता लागू होने के बाद दिखाई जाती है लेकिन बंगाल में विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले ही आयोग सक्रिय हो गया है।


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