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West Bengal: सुवेंदु ने राज्यपाल से की मुलाकात, धनखड़ बोले-बंगाल में आखिरी सांसें गिन रहा है लोकतंत्र

West Bengal भाजपा नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने पार्टी विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल जगदीप धनखड़ से कोलकाता में राजभवन में मुलाकात की और उन्हें बंगाल में हो रही कई अनुचित घटनाओं से अवगत कराया और अन्य कई मामलों पर बात की।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 05:51 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 10:42 PM (IST)
West Bengal: सुवेंदु ने राज्यपाल से की मुलाकात, धनखड़ बोले-बंगाल में आखिरी सांसें गिन रहा है लोकतंत्र
सुवेंदु अधिकारी ने 50 विधायकों के साथ राज्यपाल जगदीप धनखड़ से की मुलाकात। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। भाजपा नेता व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में सोमवार को पार्टी विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और बंगाल में हो रही हिंसक घटनाओं व अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनके साथ चर्चा की। इसके बाद राज्यपाल ने बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर ममता सरकार पर निशान साधते हुए कहा कि भय के चलते राज्य में लोकतंत्र आखिरी सांसें गिन रहा है। मैं हाथ जोड़कर सभी से अपील करना चाहूंगा कि हम बंगाल को खून से सना हुआ नहीं देखना चाहते। इस धरती पर हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि जहां मन भय रहित है, वहां पर सिर ऊंचा रहता है। मैं जानता हूं कि यहां पर किसी का मन भयमुक्त नहीं है।'

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धनखड़ ने आगे कहा-'मुझे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री आवश्यक कदम उठाएंगी और सरकार सकारात्मक रुख अपनाएगी। हम बंगाल में आग नहीं लगने दे सकते।' राज्यपाल ने कहा-' नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी सहित भाजपा के 50 विधायकों ने मुझे ज्ञापन दिया है, जिसमें उन्होंने बंगाल की भयावह स्थिति का वर्णन किया है और मुख्य रूप से चार बातों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। सूबे में पिछले 10 साल में दल-बदल कानून के तहत कोई कारगर कार्रवाई नहीं हुई।

सुवेंदु अधिकारी ने मुकुल रॉय पर साधा निशाना

सुवेंदु अधिकारी ने पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में लौटने वाले मुकुल रॉय पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि वह कभी चुनाव नहीं जीते। भाजपा ने ही उन्हें विधायक बनाया है। सुवेंदु ने कहा कि मुकुल रॉय ने 2001 में जगदल से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। उसके बाद उन्हें चुनावी मैदान में नहीं देखा गया। 20 साल बाद भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया और वह कृष्णानगर उत्तर सीट से विजयी हुए। इस सीट पर भाजपा की स्थिति बहुत मजबूत है। वहां से अगर भाजपा के बूथ अध्यक्ष भी खड़े होते तो उनकी जीत पक्की थी।


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