सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जांच को लेकर गठित बंगाल सरकार के आयोग पर लगाई रोक, राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
कोर्ट ने आयोग गठित करते हुए ममता सरकार से राज्य द्वारा गठित आयोग की जांच को रोकने को कहा था। इस पर ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार इस मामले में अपनी जांच को रोक देगा।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पेगासस मामले में जांच के लिए बंगाल की ममता सरकार द्वारा गठित अवकाशप्राप्त जस्टिस मदन बी लोकुर के नेतृत्व वाले आयोग की कार्रवाई पर रोक लगा दी। अदालत ने बंगाल सरकार और आयोग को नोटिस भी जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार की ओर से अदालत में पेश अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा- आप बताइए कि राज्य द्वारा गठित आयोग ने जांच की कार्रवाई कैसे शुरू कर दी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख तेवर अपनाते हुए ममता सरकार को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
बता दें कि बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित किया था। इस आयोग को पेगासस मामले की जांच करनी थी। लेकिन पेगासस से जुड़ी याचिकाओं पर पूर्व में सुनवाई के चलते शीर्ष अदालत ने पहले ही आयोग के काम पर रोक लगा दी थी। इस बीच हाल में पेगासस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी आयोग गठित किया जा चुका है। कोर्ट ने आयोग गठित करते हुए ममता सरकार से राज्य द्वारा गठित आयोग की जांच को रोकने को कहा था। इस पर ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार इस मामले में अपनी जांच को रोक देगा। हालांकि, कुछ दिनों बाद राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग ने फिर से जांच शुरू कर दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस भेजा है।
एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया था दरवाजा
दरअसल, पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच के लिए बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन को चुनौती देने वाले एनजीओ की ओर से पेश वकील ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष गुरुवार को मामले का उल्लेख किया था। वकील ने पीठ से कहा था कि आयोग इस तथ्य के बावजूद जांच आगे बढ़ा रहा है कि शीर्ष अदालत ने मामले में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया है कि वह जांच आगे नहीं बढ़ाएगी। एनजीओ ग्लोबल विलेज फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से पेश वकील ने मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। बता दें कि शीर्ष अदालत ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए कथित तौर पर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के उपयोग की जांच के लिए 27 अक्टूबर को साइबर विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति गठित की थी।