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सुप्रीम कोर्ट ने अलापन बंद्योपाध्याय से जुड़े मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को किया खारिज

कोर्ट ने हालांकि यह भी कहा कि अलापन अगर चाहे तो दिल्ली हाई कोर्ट में कैट के प्रिंसिपल बेंच के फैसले को चुनौती दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अलापन के मामले को कैट के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच में ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी थी।

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 02:29 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 02:29 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने अलापन बंद्योपाध्याय से जुड़े मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने अलापन बंद्योपाध्याय से जुड़े मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को किया खारिज

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव व वर्तमान में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार अलापन बंद्योपाध्याय से जुड़े मामले पर कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अलापन के मामले को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच में ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है यानी इस मामले पर अब दिल्ली में ही सुनवाई होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट कैट के फैसले को इस तरह से रद नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि यह भी कहा कि अलापन अगर चाहे तो दिल्ली हाई कोर्ट में कैट के प्रिंसिपल बेंच के फैसले को चुनौती दे सकते हैं। गौरतलब है कि अलापन का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही केंद्र सरकार ने उसकी मियाद बढ़ाते हुए उन्हें दिल्ली तलब किया गया था लेकिन अलापन ने दिल्ली न जाकर निर्धारित दिन ही रिटायरमेंट ले लिया। इसके बाद अलापन के खिलाफ केंद्रीय कार्मिक विभाग ने नियम-कानून भंग करने के मामले में जांच शुरू की।

अलापन ने जांच के खिलाफ कैट में गुहार लगाई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रिटायर होने के बाद उन्हें जो सुख-सुविधाएं मिलनी चाहिए थीं, वह नहीं मिल रही है। कैट के कोलकाता बेंच ने इस मामले को पिछले साल 22 अक्टूबर को अपने दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच में ट्रांसफर कर दिया गया था।

अलापन ने इसके खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य व रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने अलापन के पक्ष में फैसला सुनाया। केंद्र ने हाई कोर्ट के फैसले को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में मामला किया था।


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