अचानक एक के बाद एक बच्चे विभिन्न इलाकों से लापता हुए, मासूमों की बाट जोह रहीं आंसू भरी आंखें
पिछले कई वर्षों से बंगाल के विभिन्न जिलों से बच्चों के लापता होने के मामले सामने आ रहे हैं। अचानक एक के बाद एक बच्चे विभिन्न इलाकों से लापता हुए हैं।
हावड़ा, ओमप्रकाश सिंह। पिछले कई वर्षों से बंगाल के विभिन्न जिलों से बच्चों के लापता होने के मामले सामने आ रहे हैं। अचानक एक के बाद एक बच्चे विभिन्न इलाकों से लापता हुए हैं। हावड़ा जिले के बहुत से इलाकों से भी बच्चे लापता हुए हैं। हावड़ा में पिछले एक सप्ताह से बच्चा चोरी करने के आरोप में कई संदिग्धों को स्थानीय लोगों ने ही पकड़ा है।
वर्ष 2003 में बच्चा चोर तस्करों की निगाह हावड़ा के गोलाबाड़ी थाना इलाके पर पड़ी थी। वहां एक के बाद एक बच्चा चोरी की घटनाएं हुईं। इसके बाद पूरे जिले के प्रत्येक थाना इलाके से बच्चे लापता होने लगे। 2003 से लेकर 2013 तक इस एक दशक के दौरान ढेर सारे बच्चे लापता हुए, जिनमें से 14 बच्चों का आज तक सुराग नहीं मिल पाया है। उनके मां-बाप हर समय अपने खोए बेटे के लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
पिलखाना के रहने वाले मोहम्मद शब्बीर अंसारी का पांच वर्षीय बेटा मोहम्मद तारिक अपने घर के सामने खेलने के दौरान 4 मई, 2007 को लापता हो गया था। इलाके में एक के बाद एक बच्चों के लापता होते देख अंसारी ने पीड़ित मां-बाप को लेकर बच्चा निखोज कमेटी का गठन किया था। कमेटी अपने स्तर पर काम कर रही है लेकिन अभी तक किसी बच्चे का पता नहीं चल सका है।
उन्होंने पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ साल पहले बच्चा चोरी के संदेह में एक महिला को लोगों ने पकड़ा था। गोलाबाड़ी थाने के तत्कालीन प्रभारी ने महिला को देखते ही ‘पागल’ करार दे दिया था। अंसारी का आरोप है कि पुलिस कैसे निर्णय ले सकती है कि कोई पागल है या नहीं।
सच यही है कि आज भी जो बच्चा चोरी करने के संदेह में पकड़े जा रहे हैं, उन लोगों को पुलिस पागल करार दे रही है। इसके पीछे बड़े गिरोह के सदस्य सक्रिय हैं, जो कहीं न कहीं मोटी रुपये देकर अपने लोगों का बचाव कर रहे हैं। अंसारी ने बताया कि उन्होंने काफी प्रयास कर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रेपुरा इलाके से अपने बेटे को तलाश कर लिया था। बेटे का डीएनए टेस्ट कराना बाकी था लेकिन वह गायब हो गया। जिनके बच्चे आज भी घर नहीं लौटे हैं, वे लोगों की कार्रवाई व अनजान लोगों पर संदेह करने को सही ठहरा रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस एक भी बच्चे को उद्धार नहीं कर पाई है। इलाके के लोग दहशत में हैं।
उन्हें अब हर एक अजनबी से डर लगता है। दूसरे का बच्चा गायब न हो, इसके लिए वे भी सतर्क रहते हैं। कोई उनके दर्द को समझने वाला नही है। बच्चा लापता करने के मामले में आज तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
हालांकि लोगों ने कइयों को पकड़कर पुलिस को सौंपा है लेकिन बाद में पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। हावड़ा जिले के ग्रामीण पुलिस इलाके से पिछले पांच वर्षों में 800 से अधिक बच्चे लापता हुए। इनमें से पुलिस करीब 600 बच्चों को उद्धार कर चुकी है लेकिन आज भी 200 बच्चों का सुराग नहीं मिल सका है। राज्य क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार राज्य भर से वर्ष 2014 से लेकर अब तक 8,335 बच्चे व बच्चियां लापता हैं।
इनमें से 5388 बच्चों को बरामद किया गया है जबकि 2,947 बच्चे आज भी लापता हैं। 2016 में पूरे राज्य भर से 3,559 महिलाओं का अपहरण तस्करी के लिए किया गया, जिनमें से पुलिस ने 2,318 महिलाओं का उद्धार कर लिया। आज भी 1241 महिलाओं का पता नहीं चल पाया है।
गोलाबाड़ी थाना इलाके से लापता 14 बच्चों का अब तक नहीं मिला कोई सुराग, पिछले कुछ वर्षों में हावड़ा के विभिन्न इलाकों से लापता हुए हैं बहुत से बच्चे।
वर्ष खोए बच्चों के नाम
2003 सूरज राउत
2007 मोहम्मद तारिक
2007 मोहम्मद रियाज
2007 सोहेब अख्तर
2007 शकील हुसैन
2008 बंटी मालाकार
2008 सागर कुमार साव
2008 शेख अफसर
2008 शेख राजू चौधरी
2008 संजू पटेल
2009 शब्बीर हुसैन
2009 शेख अजहरुद्दीन
2010 कार्तिक राउत
2013 मोहम्मद महबूब