भारत में दो टाइम जोन के पक्षधर थे ऋषि कपूर, आत्मकथा के विमोचन पर कोलकाता में किया था खुलासा
बॉलीवुड के हर दिल अजीज अभिनेता ऋषि कपूर भारत में दो टाइम जोन के पक्षधर थे। वे कोलकाता और मुंबई को अलग-अलग टाइम जोन में देखना चाहते थे।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : बॉलीवुड के हर दिल अजीज अभिनेता ऋषि कपूर भारत में दो टाइम जोन के पक्षधर थे। वे कोलकाता और मुंबई को अलग-अलग टाइम जोन में देखना चाहते थे। 2017 में कोलकाता में दिवंगत अभिनेता ने खुद इस बात का खुलासा किया था।ऋषि कपूर उस साल 28 जनवरी को 'सिटी ऑफ ज्वॉय' आए थे, वो शहर जिससे कपूर खानदान का बेहद पुराना नाता है। मौका था उनकी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला : ऋषि कपूर अनसेंसर्ड ' के विमोचन का। विक्टोरिया मेमोरियल परिसर में खुले आसमान के नीचे चल रहे टाटा स्टील कोलकाता लिटररी मीट में शाम के वक्त विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। सूट-बूट पहने ऋषि कपूर बेहद खुशमिजाज मूड में थे, लेकिन जैसे ही शाम ढलने लगी और अंधेरा छाने लगा तो वे थोड़े निराश हो गए। अपने संबोधन में उन्होंने लोगों से कहा-'आपके यहां शाम के 5.30 बजे अंधेरा छा रहा है, जबकि इस समय मुंबई में सूरज की रोशनी बहुत ज्यादा है। पूर्वोत्तर में तो कोलकाता से पहले ही शाम ढल जाती है। इससे काम के घंटों का काफी नुकसान हो रहा है।'लगातार पांच दशक फिल्मों में काम करने वाले ऋषि कपूर ने आगे कहा-'हमारे देश में कामकाज के घंटों को बचाने के लिए दो टाइम जोन होने चाहिए।मैं लंबे समय से इस मसले को उठाता आ रहा हूं। आखिर हमारे यहां ऐसा क्यों नहीं है?'उन्होंने आगे यह भी कहा-'मैंने सुना था कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने यह प्रस्ताव लाया गया था लेकिन उन्हें लगा कि देश के लोगों को अक्षांश और देशांतर का अंतर समझ में नहीं आएगा और भ्रम की स्थिति पैदा होगी इसलिए उस वक्त वे इसे अमल में नहीं लाए, लेकिन अब हम 2017 में हैं और 2018 की तरफ बढ़ रहे हैं। इस प्रस्ताव को क्रियान्वित करने के लिए यह महत्वपूर्ण समय है।'
ऋषि कपूर को करीब से जानने वालों का कहना है कि वे सही मायने में 'कर्मयोगी' थे इसलिए समय की अहमियत अच्छी तरह से जानते थे। उन्होंने विभिन्न देशों में फिल्मों की शूटिंग के दौरान वहां लागू एक से ज्यादा टाइम जोन को बेहतर तरीके से समझा और महसूस किया कि ज्यादा टाइम जोन अपनाने वाले देश किस तरह से कामकाजी घंटों का ज्यादा उपयोग कर अपनी उत्पादकता बढ़ा रहे हैं इसलिए भारत के विशाल क्षेत्रफल को देखते हुए उन्होंने यहां दो टाइम जोन की वकालत की थी।ऋषि कपूर भारतीय फिल्म जगत से संभवत: ऐसे एकमात्र अभिनेता थे, जिन्होंने इस मसले को उठाया।गौरतलब है कि रूस, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको, ब्राजील समेत ऐसे बहुत से देश हैं, जहां एक से ज्यादा टाइम जोन हैं। फ्रांस में सर्वाधिक 12 टाइम जोन हैं। इसके बाद रूस और अमेरिका का स्थान है, जहां 11-11 टाइम जोन हैं।ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य में 9-9 टाइम जोन हैं। गौरतलब है कि टाइम जोन की गणना ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) के आधार पर की जाती है। हर 15 देशांतरीय डिग्री पर समय में एक घंटे का बदलाव होता है। इस प्रकार दुनियाभर में 24 टाइम जोन बनते हैं।
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-ब्रिटिश भारत में थे दो टाइम जोन ऐसा नहीं है कि भारत में शुरू से ही एक टाइम जोन है।
ब्रिटिश भारत में आधिकारिक तौर पर दो टाइम जोन थे-बांबे टाइम और कलकत्ता टाइम। 1947 में आजादी के बाद भारत सरकार ने भारतीय मानक समय (आइएसटी) को पूरे देश के लिए आधिकारिक समय के रूप में स्थापित किया, हालांकि कोलकाता और मुंबई ने अपने स्थानीय समय को क्रमशः 1948 और 1955 तक बरकरार रखा था। आइएसटी की गणना उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के पास मिर्जापुर शहर के पश्चिम में 82.5 डिग्री पूर्व देशांतर के आधार पर की जाती है। देश में दो टाइम जोन के पक्षधरों का कहना है कि भारत अरुणाचल में 97 डिग्री 25 मिनट पूर्व से लेकर गुजरात में 68 डिग्री 7 मिनट पूर्व तक फैला हुआ है। दोनों स्थानों के बीच दो घंटे का अंतर है, यानी अरुणाचल में सूरज गुजरात से दो घंटे पहले उगता है। यह देश में दो टाइम जोन के लिए पर्याप्त है।