चंद्र बोस का खुलासा- नेताजी ने आजाद भारत के विकास के लिए तैयार कर रखा था 100 साल का ब्लूप्रिंट
नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने कहा कि सुभाष दशकों पहले गरीबी निरक्षरता और बीमारियों जैसी प्रमुख समस्याओं का समाधान करना चाहते थे। 21वीं सदी में भी नेताजी की विचारधारा उतनी ही प्रासंगिक है। नेताजी दशकों पहले जिन समस्याओं का समाधान करना चाहते थे वे आज भी बरकरार हैं।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को स्वतंत्रता प्राप्ति से वर्षों पहले ही इस बात का आभास हो गया था कि आजाद भारत में गरीबी, निरक्षरता और बीमारियां प्रमुख समस्याएं बनकर उभरने वाली हैं। उन्होंने इन तीनों समस्याओं से निपटने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना भी तैयार कर रखी थी। नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने खास बातचीत में इसका खुलासा किया।
उन्होंने बताया-' नेताजी ने आजाद भारत के समग्र विकास के लिए 100 साल का एक ब्लूप्रिंट तैयार किया था, दुर्भाग्यवश वे इसे अमली जामा नहीं पहना पाए। 21वीं सदी में भी नेताजी की विचारधारा उतनी ही प्रासंगिक है। नेताजी दशकों पहले जिन समस्याओं का समाधान करना चाहते थे, वे आज भी बरकरार हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को पुनः समर्पित करना ही नेताजी को उनकी 125वीं जयंती पर सच्ची श्रद्धांजलि होगी।'
चंद्र कुमार बोस ने आगे कहा-' आजाद भारत में राजनीतिक तंत्र, अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना किस तरह की होनी चाहिए, इस बारे में भी नेताजी ने काफी पहले सोच रखा था। फरवरी, 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर हरिपुरा अधिवेशन में उन्होंने इसका उल्लेख भी किया था। अधिवेशन में नेताजी ने उन मौलिक अधिकारों की भी बात कही थी, जो आजाद भारत के हरेक नागरिक को मिलनी चाहिए।'
चंद्र कुमार बोस ने कहा-' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी व उनके आजाद हिंद फौज की भूमिका पर काफी चर्चा हुई है। इसपर भारतीय व विदेशी विद्वानों ने बहुत सी अच्छी किताबें भी लिखी हैं। नेताजी पर हर साल विभिन्न अध्ययन रिपोर्ट भी प्रकाशित होती हैं। यह वास्तव में स्वागत योग्य कदम है लेकिन मैं एक बात कहना चाहूंगा कि नेताजी पर वर्तमान में जो भी अध्ययन हो रहे हैं, वे सारे आजादी की लड़ाई में उनकी व आजाद हिंद फौज की भूमिका पर केंद्रित हैं।
नेताजी ने नए भारत का जो सपना देखा था और उसे लेकर उनके जो विचार थे, इसपर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नेताजी के सिद्धांतों व उनकी विचारधारा को समझना जरूरी है।' चंद्र कुमार बोस ने आगे कहा-' नेताजी ने भारत के विदेशी संबंधों के महत्व को भी समझा था। वे चाहते थे कि भारतीय सांस्कृतिक संगठनों व वाणिज्य मंडलों के माध्यम से इसे बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा था कि आजाद भारत विश्व में सकारात्मक बल के रूप में उभरेगा।'