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624 वर्ष प्राचीन माहेश की रथयात्रा इस बार हुगली से नहीं निकली, मंदिर में ही हुई पूजा-अर्चना

कोरोना संकट के चलते बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर माहेश की 624 वर्ष प्राचीन रथयात्रा इस बार नहीं निकली।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 06:54 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 06:54 PM (IST)
624 वर्ष प्राचीन माहेश की रथयात्रा इस बार हुगली से नहीं निकली, मंदिर में ही हुई पूजा-अर्चना
624 वर्ष प्राचीन माहेश की रथयात्रा इस बार हुगली से नहीं निकली, मंदिर में ही हुई पूजा-अर्चना

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोरोना संकट के चलते बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर माहेश की 624 वर्ष प्राचीन रथयात्रा इस बार नहीं निकली। इसकी जगह मंगलवार को जगन्नाथ मंदिर में ही रथ उत्सव मनाया गया। कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह माहेश जगन्नाथ मंदिर के गर्भ गृह से भगवान जगन्नाथ, बलराम एवं सुभद्रा की मूर्ति को मंदिर के बाहर चबूतरे पर रखा गया। मंदिर के पुरोहितों ने विधिवत प्रभू जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा की पूजा-अर्चना की। प्रशासन ने मंदिर परिसर में मात्र 25 लोगों के प्रवेश की ही अनुमति दी थी।

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यहां आये भक्तों को मास्क देने के साथ सैनिटाइजर से उनके हाथ साफ किए गए। इसके बाद मंदिर में प्रवेश कराया गया। वहीं, मंदिर परिसर व उसके बाहर भक्तों के बीच शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए चन्दननगर कमिश्नरेट ने बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात रखा था।

इधर, पौने चार बजे के करीब जीटी रोड पर रखे माहेश की ऐतिहासिक 50 फुट ऊंची रथ की पुजारियों ने पजा की। इस मौके पर श्रीरामपुर के सांसद कल्याण बनर्जी भी उपस्थित थे। रथ का परिक्रमा करने के बाद भगवान नारायण के रूप में शालीग्राम को गोद में लेकर सांसद कल्याण बनर्जी भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर की ओर कूच किए। पुलिस की निगरानी में कल्याण बनर्जी के साथ मंदिर के पुरोहित तथा कुछ भक्त जीटी रोड पर पैदल यात्रा करके उन्हें उनके मौसी के घर पहुंचाया। इधर, मंदिर में भगवान के लिए मंदिर कमेटी द्वारा  अस्थाई रूप से बनाए गए मौसी के घर पर भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा को रखा गया। मंदिर के प्रधान पुरोहित सौमेन अधिकारी ने बताया कि प्रभु इसी  स्थान पर अपने भाई एव बहन के साथ सात दिनों तक रहेंगे। इसके बाद फिर से पूजा-अर्चना के बाद उन्हे मंदिर के गर्भ गृह में लाया जाएंगा। गौरतलब है कि माहेश की रथ यात्रा बहुत प्रसिद्ध है और हर साल राज्यभर से यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस दिन जुटते थे लेकिन कोरोना संकट के चलते इस बार रथ यात्रा नहीं निकली। मंदिर परिसर में ही रथ उत्सव की रस्म अदायगी की गई।


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