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बंगाल में इस साल सादगी से मनेगा रथ यात्रा उत्सव, मंदिर परिसर में श्रद्धालु को प्रवेश नहीं

इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमन दास ने कहा कि सोसायटी के अधिकारियों ने यह फैसला किया है कि यहां अल्बर्ट रोड मंदिर परिसर में किसी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जाएगा

By Vijay KumarEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 07:15 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 08:16 PM (IST)
बंगाल में इस साल सादगी से मनेगा रथ यात्रा उत्सव, मंदिर परिसर में श्रद्धालु को प्रवेश नहीं
बंगाल में इस साल सादगी से मनेगा रथ यात्रा उत्सव, मंदिर परिसर में श्रद्धालु को प्रवेश नहीं

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः बंगाल में इस साल रथ यात्रा उत्सव बेहद सादगी से मनाया जाएगा, क्योंकि इस वार्षिक उत्सव का आयोजन करने वाली कई समितियों ने कोरोना महामारी के मद्देनजर श्रद्धालुओं से भीड़ एकत्र नहीं करने की अपील की है। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) ने पहले ही भगवान जगन्नाथ और उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी के रथों को बाहर निकालने की अपनी योजना को रद कर दिया है, क्योंकि देवी-देवताओं के दर्शन करने के लिए भीड़ जुटने से संक्रमण के प्रसार का जोखिम हो सकता है। इस वर्ष 23 जून को उत्सव मनाया जाना निर्धारित है। 

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इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमन दास ने कहा कि सोसायटी के अधिकारियों ने यह फैसला किया है कि यहां अल्बर्ट रोड मंदिर परिसर में किसी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जहां देवी-देवताओं को रखा जाएगा और अगले मंगलवार को केवल सेवकों की उपस्थिति में धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे। उन्होंने कहा,' शुरुआत में हमने 23 जून के अनुष्ठान के दौरान बेहद कम संख्या में श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में प्रवेश देने का फैसला किया था। उच्चतम न्यायालय की ओर से पुरी रथ यात्रा पर रोक लगाए जाने के बाद अब हमने फैसला किया है कि उस दिन मंदिर परिसर में किसी श्रद्धालु को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।'

दास ने कहा कि प्रतीकात्मक रथ यात्रा के तौर पर कुछ पुजारी और सेवक एक फुट ऊंचे रथ को मंदिर के अंदर ही चलाएंगे। मायापुर स्थित इस्कॉन के वैश्विक मुख्यालय के अधिकारी इस साल डिजिटल रथ यात्रा का आयोजन करेंगे। वहीं, कोविड-19 महामारी के चलते 624 वर्ष पुरानी महेश रथ यात्रा भी इस साल नहीं निकाली जाएगी। हुगली जिले के महेश स्थित जगन्नाथ मंदिर समिति की कार्यवाहक सचिव पियाली अधिकारी ने कहा कि मंदिर में किसी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जहां भगवान जगन्नाथ और उनके दो भाई-बहन की पूजा की जाएगी।


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