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मनोचिकित्सा: कोरोना की भयावह यादों से निजात दिलाएगी 'मन की क्लास', अस्पताल की अनोखी पहल

कोरोना के कारण मानसिक रूप से टूट चुके लोगों के जीवन में भरेगी नया जोश इस क्लास के अंतर्गत पहले चरण में चिन्हित किया गया है जिनकी हालत बेहद गंभीर थी घर लौटने के बावजूद मानसिक रूप से टूट चुके हैं। कोरोना की भयावह यादें उन्हें परेशान कर रखी हैं।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 08:48 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 08:48 AM (IST)
मनोचिकित्सा: कोरोना की भयावह यादों से निजात दिलाएगी 'मन की क्लास', अस्पताल की अनोखी पहल
कोरोना की भयावह यादों से निजात दिलाएगी 'मन की क्लास',

इंद्रजीत सिंह, कोलकाता। अब ऑनलाइन 'मन की क्लास' कोरोना के कारण मानसिक रूप से टूट चुके लोगों के जीवन में नया जोश भरेगी। यह अनोखी पहल कोलकाता मेडिकल कॉलेज अस्पताल की है। इस बारे में अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर अरुणांशु तालुकदार ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य काफी हद तक मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। कोरोना शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी लोगों को तोड़ दे रहा है। ऐसे हालात में लोगों को मनोचिकित्सकीय सेवाएं मुहैया कराना बेहद जरूरी है। ऑनलाइन 'मन की क्लास' इसी का एक हिस्सा है जो लोगों को कोरोना की भयावह यादों से निजात दिलाएगी।

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कोलकाता मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग की डॉक्टर गार्गी दासगुप्ता ने बताया कि हाल में शुरू की गई इस क्लास के अंतर्गत पहले चरण में वैसे 500 लोगों को चिन्हित किया गया है जिनकी हालत बेहद गंभीर थी, लेकिन स्वस्थ होकर घर लौटने के बावजूद मानसिक रूप से टूट चुके हैं। कोरोना की भयावह यादें उन्हें परेशान कर रखी हैं। 18-30, 30-45, 45-60 और 60 से अधिक आयु के लोगों को चार समूहों में विभाजित किया गया है। डिप्रेशन एंग्जायटी एंड स्ट्रेस स्केल, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर स्केल तथा मोंट्रियल कॉग्निटिव असेसमेंट स्केल के अनुसार लोगों का इलाज किया जा रहा है। इन पैमानों को मापने के लिए वीडियो कॉल के जरिए लोगों से तरह-तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। जोड़-घटाव, गुणा और भाग के साथ कुछ खेल भी खेले जा रहे हैं। उन्हें पेंटिंग भी बनाने को कहा जा रहा है।

तीन पैमानों से जांची जा रही लोगों की मनोदशा

-डॉक्टर गार्गी दासगुप्ता ने बताया कि डैस-21 (डिप्रेशन एंग्जायटी एंड स्ट्रेस स्केल) पद्धति का उपयोग करके कोरोना से ठीक हुए मरीज से कुल 21 सवाल पूछे जा रहे हैं। उन सवालों के जवाब से पता चलता है कि मरीज भावनात्मक रूप से कितना परेशान है और जीवन के बारे में उसे किस तरह का डर या अनिच्छा है। इसी तरह पीटीएसडी यानी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर स्केल से पता चलता है कि मरीज किस कदर हताश है। मतलब कई मरीज एंबुलेंस के सायरन को नहीं भूल पा रहे हैं। कईयों को हर रात कोरोना को लेकर बुरे सपने आ रहे हैं। अंत में मोंट्रियल कॉग्निटिव असेसमेंट स्केल है। जो मूल रूप से पेपर, पेंसिल टेस्ट है। इससे पता चलता है कि मरीज का दिमाग कितना सक्रिय है। इसे जानने के लिए लोगों को पेंटिंग भी बनाने को कहा जाता है।

डॉक्टरों को मिले काफी सकारात्मक नतीजे

-डॉक्टर अरुणांशु तालुकदार ने कहा कि 'मन की क्लास' का काफी बेहतर नतीजे देखने को मिल रहे हैं। लोगों पर इसका काफी सकारात्मक असर हो रहा है। जिन लोगों की याददाश्त की समस्या थी, निर्णय लेने में परेशानी होती थी, उनमें काफी सुधार देखा गया है। मेडिकल कॉलेज की ओर से हर महीने स्वास्थ्य भवन को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। 


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