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बंगाल में बाढ़ की गंभीर स्थिति के बीच डीवीसी को लेकर राजनीति गरमाई, ममता के बाद सुवेंदु ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

flood situation in Bengal बंगाल में बाढ़ की गंभीर स्थिति के बीच दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) से पानी छोड़ने को लेकर राजनीति गरमाती जा रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर डीवीसी की शिकायत की थी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 03:50 PM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 03:50 PM (IST)
बंगाल में बाढ़ की गंभीर स्थिति के बीच डीवीसी को लेकर राजनीति गरमाई, ममता के बाद सुवेंदु ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
ममता के बाद सुवेंदु ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, डीवीसी का किया बचाव

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में बाढ़ की गंभीर स्थिति के बीच दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) से पानी छोड़ने को लेकर राजनीति गरमाती जा रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर डीवीसी की शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि डीवीसी की ओर से राज्य सरकार को सूचित किए बिना बांधों से पानी छोड़ दिया जाता है, जिसके कारण हर साल बंगाल के विभिन्न जिलों में बाढ़ आ जाती है।

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ममता के इस पत्र पर नंदीग्राम से भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर डीवीसी का बचाव किया है। सुवेंदु ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पत्र में जो बातें कही हैं, वे झूठी और बेबुनियाद हैं। डीवीसी की तरफ से पानी छोड़ने से पहले हमेशा राज्य सरकार को सतर्क कर दिया जाता है। बंगाल में अभी बाढ़ के जो हालात हैं, इसके लिए राज्य प्रशासन जिम्मेदार है। सुवेंदु ने पत्र में आगे लिखा है कि डीवीसी पूरी तरह से केंद्र सरकार का उपक्रम नहीं है। इसमें बंगाल और झारखंड सरकारों की भी हिस्सेदारी है।

सुवेंदु के इस बयान पर तृणमूल कांग्रेस नेता तापस राय ने कहा कि सुवेंदु जब सिंचाई मंत्री थे, तब डीवीसी पर दोषारोपण किया करते थे और अब भाजपा में शामिल होने के बाद उल्टा राग अलाप रहे हैं। वहीं राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि डीवीसी की ओर से बांधों की ड्रेजिंग नहीं कराई जाती इसलिए ज्यादा बारिश होने पर ही वह पानी छोड़ने के लिए मजबूर हो जाता है, जिसका खामियाजा बंगाल को भुगतना पड़ता है।

इस बीच डीवीसी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माइथन और पंचेत बांधों की ड्रेजिग और मरम्मत कार्य में 15,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे जबकि 10,000 करोड़ की लागत से नए बांध का निर्माण किया जा सकता है।


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