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Political equation : सीएम के साथ बैठक के परिणाम से खुश, गुरुंग के साथ समझौते का सवाल ही नहीं : विनय तमांग

Political equation बैठक-गोजमुमो नेताओं के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की महत्वपूर्ण बैठक। गोजमुमो के दूसरे गुट के प्रमुख विनय तमांग ने सीएम के साथ बैठक के परिणाम पर संतोष व्यक्त किया। विनय तमांग बिमल गुरुंग को पहाड़ के लिए बताया बंद अध्याय।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 06:05 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 09:37 PM (IST)
Political equation : सीएम के साथ बैठक के परिणाम से खुश, गुरुंग के साथ समझौते का सवाल ही नहीं : विनय तमांग
ममता ने गोजमुमो नेता तमांग और थापा के साथ 1 घंटे तक नवान्न में बंद दरवाजे में बैठक की।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) के भूमिगत नेता बिमल गुरुंग के हाल में सामने आने व तृणमूल कांग्रेस को समर्थन की घोषणा के बाद दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में बदले राजनीतिक हालात के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को गुरुंग के प्रतिद्वंदी विनय तमांग गुट के नेताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। गोजमुमो के दूसरे गुट के प्रमुख विनय तमांग ने सीएम के साथ बैठक के परिणाम पर संतोष व्यक्त किया। बैठक के बाद उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि गोरखा नेता विमल गुरुंग के साथ किसी भी तरह के समझौते का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। 

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जीटीए अध्यक्ष अनिल थापा के साथ सीएम के संग की चर्चा 

2017 के बाद से तृणमूल के सहयोगी रहे तमांग ने विमल गुरुंग को पहाड़ के लिए एक बंद अध्याय भी बताया और कहा कि बैठक में गुरुंग को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। राज्य सचिवालय नवान्न में बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए तमांग ने कहा कि उन्होंने अपने सहयोगी और गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के अध्यक्ष अनिल थापा के साथ मुख्यमंत्री के संग कई मुद्दों पर चर्चा की।

दार्जिलिंग  में शांति व बुनियादी ढांचे का विकास प्रमुख मुद्दा

इसमें दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में शांति व बुनियादी ढांचे का विकास प्रमुख मुद्दा रहा। यह एक संतोषजनक बैठक थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि बैठक में बिमल गुरुंग से संबंधित किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। गुरुंग के प्रति अपने तेवर सख्त दिखाते हुए उन्होंने कहा कि वह एक भगोड़ा है और कानून अपना काम करेगा। उल्लेखनीय है कि ममता ने गोजमुमो नेता तमांग और थापा के साथ 1 घंटे तक नवान्न में बंद दरवाजे में बैठक की। 

तमांग के रूख से साफ- गुरुंग के स्वीकार को तैयार नहीं

बैठक के दौरान राज्य के मुख्य सचिव अलापन बंधोपाध्याय एवं मंत्री अरूप विश्वास व फिरहाद हकीम भी मौजूद थे। माना जा रहा था कि बैठक में मुख्यमंत्री बिमल गुरुंग एवं तमांग गुट के बीच मेल मिलाप की पहल करेंगी, जिसको लेकर सबकी नजरें टिकी थी। लेकिन बैठक के बाद तमांग के रूख से साफ है कि वह गुरुंग को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। हालांकि बैठक को लेकर राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है। 

प्रशासनिक और राजनीतिक मंच को साझा नहीं कर रहे

वहीं, तमांग, जो दार्जिलिंग क्षेत्र में गुरुंग की वापसी के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, ने साफ कहा कि दार्जिलिंग के लोग उन्हें वापस नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा- 'हम गुरुंग के साथ किसी भी प्रशासनिक और राजनीतिक मंच को साझा नहीं कर रहे हैं। उन पर यूएपीए के तहत कुछ मामलों सहित लगभग 140 मामले दर्ज हैं। उनके साथ हमारा कोई संबंध कैसे हो सकता है?' 

गुरुंग के विरोध में तमांग गुट की लगातार रैलियां भी 

बताते चलें कि तीन साल तक छुपकर रहने वाले गुरुंग को 21 अक्टूबर को अचानक कोलकाता में देखा गया और उन्होंने एनडीए छोड़ने की घोषणा के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस को समर्थन का वादा किया। गुरुंग के इस कदम के पास तमांग गुट में खलबली मची है। गुरुंग के विरोध में तमांग गुट द्वारा दार्जिलिंग क्षेत्र में लगातार रैलियां भी निकाली जा रही है। बताते चलें कि बिमल गुरुंग का दार्जिलिंग क्षेत्र में खासा प्रभाव है।

तृणमूल पहाड़ पर फैलाना चाहती है अशांति : भाजपा 

इधर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस अपनी गंदी राजनीति के जरिए एक बार फिर पहाड़ पर अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह पहाड़ के लोगों की शांति भंग करने के लिए गंदी राजनीति के अलावा और कुछ नहीं है। हम ऐसी राजनीति की निंदा करते हैं। बस कुछ सीटें जीतने के लिए, सत्तारूढ़ टीएमसी पहाड़ को अस्थिरता की ओर धकेल रही है।

तृणमूल ने भाजपा के आरोपों को बताया बेबुनियाद

दूसरी ओर, तृणमूल ने भाजपा के आरोपों को बेबुनियाद बताया। तृणमूल के वरिष्ठ नेता व सांसद सौगत राय ने कहा कि यह भाजपा ही थी जिसने दार्जिलिंग में अशांति पैदा करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहाड़ को परेशान करने की कोशिश की, लेकिन हमने वहां शांति वापस लाई। गौरतलब है कि जून, 2017 में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर दार्जिलिंग में हिंसक आंदोलन देखा गया था, जब इस मुद्दे पर वहां लगातार 104 दिन की हड़ताल देखी गई थी। इस आंदोलन के दौरान ही गोजमुमो में विभाजन हो गया था।


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