सतर्कता: बंगाल में अफगानी नागरिकों पर नजर रखेगी पुलिस
कोलकाता पुलिस के सूत्रों के अनुसार राज्य में रहने वाले विदेशियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी ताकि आतंकी नेटवर्क या जासूसी जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। गृह विभाग ने इसके अलावा कुछ भी संदिग्ध मिलने पर सभी विवरण भेजने के लिए भी कहा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। अफगानिस्तान में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल व तालिबान के कब्जे को देखते हुए बंगाल पुलिस ने राज्य में रहने वाले अफगानी लोगों के विवरण और पृष्ठभूमि की जांच के लिए एक राज्यव्यापी अभियान शुरू किया है।राज्य के गृह विभाग द्वारा दिए गए निर्देश यहां रहने वाले अफगानी नागरिकों की आवाजाही का पता लगाने और किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए उन पर बुनियादी निगरानी बनाए रखने का एक प्रयास है।
सभी पुलिस कमिश्नरों और कमिश्नरियों तथा जिलों के एसपी को भेजे गए निर्देश में अपने क्षेत्रों में रहने वाले सभी अफगानी नागरिकों की लॉग-शीट तैयार करने को कहा गया है। उन्हें पासपोर्ट के प्रमाणीकरण, वीजा की अवधि और एक ताजा पृष्ठभूमि की जांच सहित एक चेकलिस्ट बनाए रखने के लिए भी कहा गया है। राज्य गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, विवरण (एक अपडेट सूची) जल्द से जल्द गृह विभाग को भेजने के लिए कहा गया है। साथ ही उन पर नजर भी रखने के लिए कहा गया है।
अधिकारी ने कहा, इस राज्य के साथ अफगानी लोगों का संबंध कोई नई बात नहीं है। वे वर्षों से बंगाल में रह रहे हैं। वे मुख्य रूप से फल और मनी लेंडिंग (रकम उधार देने) जैसे व्यवसाय में हैं, लेकिन इस वर्तमान स्थिति में हम कुछ भी मौका नहीं छोड़ सकते। जो लोग आ रहे हैं और राज्य में वर्षों से रह रहे लोगों के बीच कोई समस्या नहीं है। लेकिन हमें उनपर नजर रखने की जरूरत है ताकि तालिबान प्रवेश न करें और आतंकवादी गतिविधियों के लिए हमारी धरती का इस्तेमाल न करें।
कोलकाता पुलिस के सूत्रों के अनुसार, राज्य में रहने वाले विदेशियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी ताकि आतंकी नेटवर्क या जासूसी जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। गृह विभाग ने इसके अलावा कुछ भी संदिग्ध मिलने पर सभी विवरण भेजने के लिए भी कहा है।
बंगाल में सक्रिय है कई आतंकी समूह
दरअसल, तालिबान पहले से ही भारत में सक्रिय कई आतंकवादी समूहों की ओर हाथ बढ़ा रहा है। कुछ ऐसे समूह बंगाल में भी काफी सक्रिय हैं। ऐसा ही एक समूह अंसार-उल-बांग्ला टीम (एबीटी) है, जिसे हाल ही में अंसार-उल-इस्लाम नाम दिया गया है। इस संगठन के शीर्ष अधिकारी अल-कायदा की बांग्लादेश शाखा से होने का दावा करते हैं और वे बांग्लादेश में कई ब्लॉगर्स की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं।हालांकि यह समूह बांग्लादेश में 2007 से काम कर रहा है, लेकिन 2013 में बांग्लादेश सरकार द्वारा इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया गया था।
खुफिया एजेंसियों के लिए भी बना है सिरदर्द
हालांकि, एक नए नाम वाला संगठन राज्य की खुफिया एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गया है। अधिकारियों का मानना है कि राज्य में रहने वाले विदेशी नागरिकों के साथ आतंकी संबंध वास्तव में चिंता का एक प्रमुख कारण है और इसलिए उन पर निगरानी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बताते चलें कि बंगाल से हाल के वर्षों में अलकायदा समेत विभिन्न आतंकी समूहों से जुड़े बड़ी संख्या में आतंकियों की भी गिरफ्तारी हो चुकी है।