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West Bengal Assembly Election 2021: ममता के करीबी रहे पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बनाई नई पार्टी

West Bengal Assembly Election 2021 बंगाल में फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी लंबे अरसे से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी रहे हैं। हालांकि कुछ वक्त से सिद्दीकी ममता से नाराज चल रहे हैं और खुले रूप से तृणमूल कांग्रेस का विरोध करते रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 05:16 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 09:33 PM (IST)
West Bengal Assembly Election 2021: ममता के करीबी रहे पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बनाई नई पार्टी
फुरफुरा शरीफ के पीरजादा ने बनाई नई पार्टी। फाइल फोटो

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। West Bengal Assembly Election 2021: बंगाल के मुस्लिमों के बीच बेहद खास प्रभाव रखने फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बड़ा सियासी दांव खेला है। बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने वीरवार को अपनी नई पार्टी बना ली है। अब्बास सिद्दीकी ने अपने नए दल को नाम इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) रखा है। पीरजादा अब्बास सिद्दीकी लंबे अरसे से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी रहे हैं। हालांकि कुछ वक्त से सिद्दीकी ममता से नाराज चल रहे हैं और खुले रूप से तृणमूल कांग्रेस का विरोध करते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की थी।

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मुलाकात के बाद ओवैसी ने साफ किया था कि वह बंगाल में अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व में उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी। इसके बाद अब्बास सिद्दीकी ने नई पार्टी बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी और गुरुवार को उन्होंने आइएसएफ नाम से पार्टी की घोषणा कर दी। पार्टी की घोषणा करते हुए सिद्दीकी ने दावा किया कि उनकी पार्टी भारत में पहला सच्चा धर्मनिरपेक्ष मोर्चा होगी और वंचित वर्ग के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाले बहुत सारे पक्ष अस्तित्व में आ गए हैं, लेकिन हमने देखा है कि एक वर्ग के अलावा ज्यादातर लोग वंचित रह गए हैं। मुस्लिम, दलित पीछे रह गए हैं। हमारा उद्देश्य वंचित वर्ग के लोगों को मुख्यधारा में लाना है। इस पार्टी का अध्यक्ष अब्बास ने अपने भाई नौशाद सिद्दीकी को बनाया है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों ने धर्मगुरु की पार्टी की घोषणा को बंगाली राजनीति में एक नया चलन बताया है।

हर जिले में पार्टी संगठन तैयार करेंगे

गुरुवार को कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अब्बास सिद्दीकी ने कहा कि हर जिले में हम पार्टी संगठन तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिलों में सभा व बैठकें कर पार्टी का नाम और सफेद, हरा और नीला रंग वाले इस झंडे से आम जनता को परिचत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्थिति व वक्त समझने के बाद ब्रिगेड परेड मैदान में एक सभा आयोजित की जाएगी। यहां बताना आवश्यक है कि फुरफुरा शरीफ के एक और पीरजादा और अब्बास के चाचा तोहा सिद्दीकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल के समर्थन में खड़े हैं। उन्होंने ओवैसी के दौरे के बाद साफ कहा था कि यहां हम सभी लोग ममता बनर्जी के साथ हैं।

अब्बास सिद्दीकी की मुस्लिम वोटों पर है नजर

अपनी नई पार्टी बनाने के साथ अब्बास सिद्दीकी की नजर बंगाल चुनाव में मुस्लिम वोटरों पर है। 30 फीसद वोट शेयर के साथ मुस्लिम वोटर यहां 'किंगमेकर' की भूमिका में रहते हैं। 2011 में ममता बनर्जी की धमाकेदार जीत के पीछे भी यही वोटबैंक था। राज्य की 294 सीटों में से 90 से ज्यादा सीटों पर इस वोटबैंक का सीधा प्रभाव है। सियासी जानकारों का मानना है कि फुरफुरा शरीफ दरगाह के चुनाव में उतरने से ममता के इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगने की पूरी संभावना है और ऐसा हुआ तो ममता का तीसरी बार भी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का सपना अधूरा रह सकता है।

मुस्लिमों के बीच फुरफुरा शरीफ दरगाह का विशेष महत्व

बंगाल के हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ विख्यात दरगाह है। बंगाली मुस्लिमों में इस दरगाह का विशेष दखल है। वाममोर्चा सरकार के दौरान इसी दरगाह की मदद से ममता ने सिंगुर और नंदीग्राम जैसे दो बड़े आंदोलन किए थे। एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसी महीने की शुरुआत में फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि अब्बास सिद्दीकी का हमें समर्थन हासिल है और जो फैसला वह लेंगे, वही हमें मंजूर होगा।

पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ममता बनर्जी के थे समर्थक

38 वर्षीय अब्बास सिद्दीकी एक समय ममता बनर्जी के मुखर समर्थक थे। मगर बीते कुछ महीनों से उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सिद्दीकी ने ममता सरकार पर मुस्लिमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। बंगाल की करीब 100 सीटों पर मुस्लिम वोट का प्रभाव है और फुरफुरा शरीफ दरगाह की खास भूमिका रह सकती है। ऐसे में चुनाव से पहले दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का खुद की पार्टी बना लेना ममता के लिए सियासी रूप से फायदे का सौदा नहीं साबित होने वाला है।


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