डॉक्टरों ने रच दिया इतिहास, बकरी के कान से दूर हुईं 25 लोगों की शारीरिक विकृति
चिकित्सकों ने जन्म से विकृत कान, नाक और होठ की समस्या से जूझ रहे 25 लोगों की सर्जरी कर इतिहास रच दिया। उनकी शारीरिक विकृति दूर करने के लिए डाक्टरों ने बकरी के कान का उपयोग किया।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। शहर में चिकित्सकों ने जन्म से विकृत कान, नाक और होठ की समस्या से जूझ रहे 25 लोगों की सर्जरी कर इतिहास रच दिया। इस सर्जरी में उनकी शारीरिक विकृति दूर करने के लिए डाक्टरों ने बकरी के कान का उपयोग किया। इस सर्जरी को आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
गुरुवार को अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि बशीरहाट निवासी सुमन का दाहिना कान जन्म से ही मुड़ा हुआ था। मेडिकल भाषा में इसे माइक्रोसिया कहते हैं। इसी तरह से बांकुड़ा के बारासात की मौमिता के होठ जन्म से कटे हुए थे। इस समस्या की वजह से उसे हमेशा मुंह को ढककर रखना पड़ता था। आरजी कर अस्पताल के चिकित्सकों ने उनके चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी की। विकृत अंगों में बकरी के कान को प्रत्यारोपित कर दोनों के कान और होंठ ठीक कर दिए गए हैं।
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रधान डॉ. रूप भट्टाचार्य के नेतृत्व में ऐसे ही 25 लोगों के चेहरे की सर्जरी कर बकरी के कान के जरिए होंठ, नाक, कान व चेहरे की अन्य जगहों पर मौजूद जन्मजात विकृतियों को ठीक किया गया है।
गुरुवार को इस बाबत आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. श्रद्धानंद बटबयाल ने बताया कि उत्तर और दक्षिण 24 परगना, बांकुड़ा, पुरुलिया और वीरभूम से आए 25 लोगों के चेहरे पर मौजूद विभिन्न विकृतियों को बकरी के कान के जरिए ठीक किया गया है। उन्होंने बताया कि बकरी के कान के जरिए होने वाली इस सर्जरी पर वर्ष 2013 में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने शोध किया था।
इसके बाद पूरी दुनिया में यह सर्जरी धीरे-धीरे विख्यात होती चली गई। अब इसे इंसानों पर आजमाया गया, जो सफल रहा। इससे प्रेरित होकर दिसंबर महीने के अंतिम सप्ताह और जनवरी महीने के पहले सप्ताह के बीच कुल 25 लोगों की प्लास्टिक सर्जरी इसी नई शोध से की गई। सभी लोग स्वस्थ हो रहे हैं और उनकी रिपोर्ट सामान्य है।