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West Bengal : कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका, तृणमूल विधायक अशोक कुमार देब को अयोग्य घोषित करने की मांग

कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की गई है जिसमें तृणमूल कांग्रेस के विधायक अशोक कुमार देब को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है जो पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के वर्तमान अध्यक्ष भी हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 08:32 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 08:32 PM (IST)
West Bengal : कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका, तृणमूल विधायक अशोक कुमार देब को अयोग्य घोषित करने की मांग
कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की गई है जिसमें तृणमूल कांग्रेस के विधायक अशोक कुमार देब को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है, जो पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के वर्तमान अध्यक्ष भी हैं। 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में अशोक कुमार देब ने बजबज निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और बाद में जीत हासिल की थी। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 23 जुलाई को करेगी।

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याचिकाकर्ता अधिवक्ता शंखशुभ्र मुखर्जी ने टीएमसी विधायक की स्थिति को इस आधार पर चुनौती दी है कि चुनाव की तारीख को विधायक ने लाभ के पद यानी पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के अध्यक्ष के पद पर कब्जा कर लिया था और इसलिए संविधान के अनुच्छेद 102(1) और अनुच्छेद 191(1) के प्रावधानों के तहत उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए । तदनुसार, याचिकाकर्ता ने कानून के उल्लंघन में सार्वजनिक पद धारण करने के लिए प्रतिवादी के खिलाफ रिट जारी करने के लिए न्यायालय के समक्ष प्रार्थना की।

संविधान के अनुच्छेद 191 (1) (ए) में कहा गया है कि विधानसभा के सदस्य को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा यदि वह भारत सरकार या संविधान की पहली अनुसूची में निर्दिष्ट किसी भी राज्य की सरकार के तहत लाभ का कोई पद धारण करता है।

अशोक कुमार देब ने हाल ही में पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजकर विवाद खड़ा कर दिया था, जिसमें न्यायमूर्ति राजेश बिंदल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद से हटाने की मांग की गई थी। उसके बाद, बार काउंसिल के चार सदस्य सार्वजनिक रूप से यह कहते हुए सामने आए कि देब का पत्र, जिसमें न्यायमूर्ति बिंदल पर राजनीतिक पूर्वाग्रह होने का आरोप लगाया गया था, अन्य सदस्यों के परामर्श के बिना एकतरफा जारी किया गया था।


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