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Coronavirus Effect: कोरोना को हराने वाले लोग हो रहे हैं अवसाद के शिकार

Coronavirus Effect बंगाल में कोरोना से ठीक हो चुके कई लोग अकेलेपन और स्वजनों पड़ोसियों की बेरुखी के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 09:43 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 01:56 PM (IST)
Coronavirus Effect: कोरोना को हराने वाले लोग हो रहे हैं अवसाद के शिकार
Coronavirus Effect: कोरोना को हराने वाले लोग हो रहे हैं अवसाद के शिकार

कोलकाता, राज्य ब्यूरो  बंगाल में कोरोना से ठीक हो चुके कई लोग अकेलेपन और स्वजनों, पड़ोसियों की बेरुखी के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं। कोलकाता में एक सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने यह जानकारी दी है। बेलियाघाट आइडी एंड बीजी अस्पताल में कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों के लिए चलाए जा रहे क्लीनिक के प्रभारी संजीव बंद्योपाध्याय ने बताया कि संक्रमण से उबर चुके कुछ मरीजों के आवास को पड़ोसी ‘कोरोना फ्लैट’ या ‘कोरोना घर’ कहते हुए दूसरों को दूर रहने के लिए आगाह करते हैं। डॉ बंद्योपाध्याय ने कहा कि कोलकाता में कुछ लोगों को पड़ोसियों ने घरों में घुसने नहीं दिया तो ऐसे लोगों को गृह स्थानों पर लौटना पड़ा। ठीक हो चुके लोगों के परिवार वालों ने जांच के लिए खून के नमूने लेने पहुंचे लोगों को भी मना कर दिया।

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संक्रमण मुक्त होने के बाद भी मानसिक रूप से हैं परेशान

विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के कारण कई-कई दिनों तक घरों में ही रहने से कई लोगों की मानसिक सेहत पर असर पड़ा है। विशेषज्ञों के मुताबिक लोग बैचेनी-घबराहट, व्यवहार में परिवर्तन, नींद में बाधा, लाचारी और आर्थिक परेशानियों के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं। एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि राज्य के मरीज भी कई तरह की मानसिक समस्या का सामना कर रहे हैं। खास कर नौकरी खत्म होने, वित्तीय दबाव और सामाजिक तौर पर लांछन से मनोदशा पर गहरा असर पड़ा है और इसके लिए परामर्श की जरूरत है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 97 फीसद लोगों ने कहा कि उनकी नींद उचट गई है और 12 फीसद ने कहा कि घबराहट, बैचैनी की उन्हें दिक्कत होती है। सर्वेक्षण के अनुसार, सात फीसद लोगों ने कहा कि सामाजिक लांछन से वह दबाव का सामना कर रहे हैं।

अलग-थलग छोड़ना है अवसाद का बड़ा कारण

डॉ बंद्योपाध्याय ने कहा कि कोविड-19 से ठीक हो चुके तकरीबन शत-प्रतिशत लोग पड़ोसियों और परिजनों द्वारा अलग-थलग छोड़ दिए जाने के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं। संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को परामर्श के लिए आइडी एंड बीजी अस्पताल में करीब एक महीने से क्लीनिक चलाया जा रहा है। ठीक होने वाले करीब 60 फीसद लोगों ने हमसे परामर्श लिया है और सबने एक ही तरह के अनुभव बयां किए हैं कि वे समाज में अलग-थलग पड़ चुके हैं। समाज उन्हें स्वीकार नहीं रहा। इससे उन पर गहरा मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ा है। 


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