पेगासस कांड: बंगाल सरकार की ओर से गठित जांच आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
पेगासस कांड एक गैर सरकारी संगठन ने राज्य सरकार की अधिसूचना को रद करने की मांग की बंगाल सरकार ने पिछले महीने दो सदस्यीय जांच आयोग का किया है गठन पेगासस जासूसी मामले की पड़ताल के लिए बंगाल सरकार द्वारा गठित जांच आयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पेगासस जासूसी मामले की पड़ताल के लिए बंगाल सरकार द्वारा गठित जांच आयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ग्लोबल विलेज फाउंडेशन ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और बंगाल सरकार के 27 जुलाई के नोटिफिकेशन को रद करने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि जब सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है तो आयोग का गठन क्यों किया गया? इसमें आयोग की जांच पर रोक की मांग भी की गई है।
दरअसल बंगाल सरकार ने 27 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (रिटायर्ड) मदन बी लोकुर और कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (रिटायर्ड) ज्योतिर्मयी भट्टाचार्य इसके सदस्य हैं।
इस जांच आयोग में शामिल दोनों रिटायर्ड जज बंगाल में फोन हैकिंग, ट्रैकिंग और फोन रिकॉर्डिंग के आरोपों की जांच करेंगे। इधर, सुप्रीम कोर्ट पेगासस मामले की एसआइटी जांच को लेकर दस याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। 16 अगस्त को इस मामले में केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखना है।
उल्लेखनीय है कि पेगासस स्पाइवेयर विवाद में जांच आयोग गठित करने वाला बंगाल पहला राज्य है। बंगाल सरकार ने जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत आयोग का गठन किया है। आयोग को अधिसूचना जारी होने के छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।