पेगासस मामला : बंगाल सरकार ने दाखिल किया हलफनामा, सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक आयोग के गठन को ठहराया जायज
बंगाल सरकार ने पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए गठित जस्टिस लोकुर न्यायिक आयोग का बचाव करते हुए इसे जायज ठहराया है। इस मामले में नोटिस के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है जिसमें कहा है कि न्यायिक आयोग का गठन समानांतर जांच नहीं है
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल सरकार ने पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए गठित जस्टिस लोकुर न्यायिक आयोग का बचाव करते हुए इसे जायज ठहराया है। बंगाल सरकार ने इस मामले में नोटिस के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा है कि न्यायिक आयोग का गठन समानांतर जांच नहीं है और नियमों के तहत इसका गठन किया गया है। हालांकि बुधवार को पेगासस मामले पर सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि फिलहाल जांच आयोग अपनी कार्रवाई स्थगित रखेगा।
यानी जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर लेता है तब तक उसके द्वारा गठित आयोग की जांच आगे नहीं बढ़ेगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह अगले हफ्ते पेगासस जासूसी मामले की जांच पर आदेश दे सकता है। मामले की जांच के लिए बंगाल सरकार की तरफ से आयोग के गठन का विरोध करने वाली याचिका को कोर्ट ने बाकी मामलों के साथ लगाने का ही निर्देश दिया।
इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह राष्ट्रव्यापी मसला है। हम पूरे मामले को अगले हफ्ते देखेंगे। इस याचिका को भी बाकी याचिकाओं के साथ लगाया जाए।सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए 15 याचिकाएं लंबित है।
'आयोग गठित करने की राज्य सरकार के पास है शक्ति'
बंगाल सरकार की ओर से हलफनामे में यह भी कहा गया है कि ये मुद्दा सार्वजनिक महत्व का है और राज्य के पास जनता का विश्वास बहाल करने के लिए एक आयोग गठित करने की शक्ति है। इसमें याचिकाकर्ता एनजीओ पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया गया है कि वह आरएसएस के करीब है। जब केंद्र इस मामले को प्रतिबद्ध नहीं है और पेगासस पर टालमटोल करता है तो राज्य मूक दर्शक के रूप में बैठा नहीं रह सकता है। बंगाल सरकार ने साफ तौर पर कहा कि उसने आयोग का गठन इसलिए किया क्योंकि केंद्र ने जांच शुरू नहीं की है।
पिछले महीने बंगाल सरकार ने गठित किया था न्यायिक आयोग
गौरतलब है कि बंगाल सरकार ने पिछले महीने पेगासस मामले की पड़ताल के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (रिटायर्ड) मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में दो सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। इसके बाद ग्लोबल विलेज फाउंडेशन नामक एनजीओ ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि किसी भी राज्य को इस तरह के आयोग के गठन का अधिकार नहीं है। इस याचिका पर 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था।