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खुद सोकर जिंदगी को जगा गई 13 साल की बच्ची

-मधुष्मिता की दोनों किडनी व लीवर से मिली तीन लोगों को नई जिंदगी।) -'सिटी ऑफ ज्वॉय' ने अं

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 02:47 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 02:47 AM (IST)
खुद सोकर जिंदगी को जगा गई 13 साल की बच्ची
खुद सोकर जिंदगी को जगा गई 13 साल की बच्ची

-मधुष्मिता की दोनों किडनी व लीवर से मिली तीन लोगों को नई जिंदगी।)

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-'सिटी ऑफ ज्वॉय' ने अंग प्रत्यारोपण में फिर पेश की मिसाल

-गत शनिवार को चिकित्सकों ने कर दिया था 'ब्रेन डेड' घोषित

-दुर्गापुर से कोलकाता तक ग्रीन कॉरीडोर तैयार कर लाए गए थे अंग

-अंग प्रत्यारोपण के बाद तीनों मरीजों की हालत स्थिर, गहन निरीक्षण में

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जागरण संवाददाता, कोलकाता : 13 साल की एक बच्ची खुद चिरनिद्रा में सोकर तीन लोगों की आंखों में जीने के नए सपने संजो गई। मधुष्मिता बायेन की दोनों किडनी व लीवर से तीन लोगों को नया जीवन मिल गया। रविवार रात राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम में सफलतापूर्वक तीनों ऑपरेशन को अंजाम देकर अंग प्रत्यारोपण किए गए। दमदम के अभिषेक मिश्र और नदिया के मिठुन दलाल में किडनी जबकि बैरकपुर के संजीत बाला में लीवर प्रत्यारोपित किया गया है। चिकित्सकों का कहना है कि तीनों मरीजों की हालत स्थिर है। उन्हें गहन निरीक्षण में रखा गया है। मधुष्मिता के अंगों को दुर्गापुर से कोलकाता तक ग्रीन कॉरीडोर तैयार कर लाया गया था। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बांकुड़ा के मेजिया इलाके की रहने वाली मधुष्मिता जन्म के समय से ही बीमार रहती थी। वह ठीक से चल-फिर और बातचीत भी नहीं कर पाती थी। उसके पिता दिलीप बायेन बांकुड़ा स्थित मेजिया थर्मल पावर प्लांट में कर्मी हैं। उन्होंने अपनी बेटी का बहुत जगह इलाज कराया लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। गत 12 नवंबर को मधुष्मिता की तबीयत काफी खराब हो गई। उसे पहले बांकुड़ा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उसकी हालत और बिगड़ते देख दुर्गापुर मिशन अस्पताल स्थानांतरित किया गया। शनिवार शाम को चिकित्सकों ने मधुष्मिता को 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया। इसके बाद चिकित्सकों की सलाह पर उसके माता-पिता ने अपनी बेटी के विभिन्न अंगों को दान करने का फैसला किया। दुर्गापुर मिशन अस्पताल ने तुरंत स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया। एसएसकेएम अस्पताल में किडनी व लीवर के मेल वाले तीन मरीजों की पहचान की गई। इसके बाद राज्य व कोलकाता पुलिस ने कोलकाता से दुर्गापुर तक 170 किलोमीटर का ग्रीन कॉरीडोर तैयार किया। रविवार शाम साढ़े सात बजे दुर्गापुर मिशन अस्पताल से दो एंबुलेंस से मधुष्मिता की दोनों किडनी, लीवर व कार्निया को कोलकाता लाया गया। साथ में अस्पताल के 10 चिकित्सक भी थे। रात पौने 10 बजे ये अंग एसएसकेएम अस्पताल पहुंचे। इसके बाद दो मरीजों में एक-एक किडनी व एक मरीज में लीवर का प्रत्यारोपण शुरू हुआ। कार्निया को अस्पताल को दान कर दिया गया है। गौरतलब है कि शरीर से निकाले जाने के बाद लीवर पांच घंटे और किडनी आठ से 10 घंटे तक ठीक रहती है। उसी दौरान उसे अन्य के शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।


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