अब बारिश में परिवर्तनशीलता व रुझान का चलेगा सटीक पता
आइआइटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया है जिसका इस्तेमाल मौसम क्षेत्रों में बारिश में परिवर्तनशीलता और रुझान का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने अब एक नया सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया है जिसका इस्तेमाल भारत में अलग-अलग मौसम क्षेत्रों में बारिश (वर्षा) में परिवर्तनशीलता और रुझान का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
आइआइटी खड़गपुर की ओर से गुरुवार को जारी एक बयान में बताया गया कि- सेंटर फॉर ओशंस, रिवर्स, एटमॉसफियर एंड लैंड साइंसेस (सीओआरएएल) की ओर से विकसित यह मॉडल मौसम परिवर्तन लाने वाले स्थानीय और दूरस्थ दोनों कारकों को ध्यान में रखता है।
बयान में कहा गया कि इसमें से कई स्थानीय और दूरस्थ कारक उन मौसम परिस्थितियों को प्रभावित करते हैं जिनकी वैज्ञानिक समुदाय को जानकारी है। इसमें कहा गया है कि अधिकतर मौसम पूर्वानुमान मॉडल आमतौर पर स्थानीय कारकों या एकल कारक को ध्यान में रखते हैं जो बारिश को प्रभावित करते हैं या वे विभिन्न कारकों के प्रभाव को स्थापित करने के लिए सहसंबंध के सांख्यिकीय मॉडल का इस्तेमाल करते हैं।
इसके कारण ऐसे पूर्वानुमानों में अनिश्चितता रहती थी क्योंकि प्रत्येक स्वतंत्र कारक के कुछ प्रभाव होते हैं जो हो सकता है कि वास्तविक स्थितियों से मेल नहीं खाएं।
बयान में शोध टीम के प्रमुख सदस्य रहे प्रोफेसर जयनारायण कुट्टीपुरथ के हवाले से कहा गया कि- हमारे अध्ययन से यह पता चलता है कि मानसूनी बारिश परिवर्तनशीलता पूर्वी प्रशांत महासागर, मध्य प्रशांत, अटलांटिक और उत्तर हिंद महासागर के सतही तापमान और भूमध्य रेखा क्षेत्र की हवाओं से नियंत्रित होती है।
उन्होंने दावा किया कि नए सांख्यिकीय मॉडल से देश में किसी भी प्रकार की मौसम की स्थिति की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।