Bengal Politcs: अब आइएएस कैडर रूल को लेकर केंद्र के साथ टकराव के रास्ते पर ममता सरकार
केंद्र आइएएस कैडर रूल में संशोधन करना चाहता है ममता इसके प्रतिवाद में पहले ही पीएम मोदी को पत्र लिख चुकी हैं। ममता सरकार का मानना है कि राज्यों के दैनिक प्रशासनिक कार्यों पर काफी असर पड़ सकता है। आइएएस अफसरों पर राज्य सरकारों के नियंत्रण पर भी प्रभाव पड़ेगा।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल की ममता सरकार अब आइएएस कैडर रूल को लेकर केंद्र के साथ टकराव के रास्ते पर है। केंद्र आइएएस कैडर रूल में संशोधन करना चाहता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके प्रतिवाद में पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख चुकी हैं। अब केंद्र की तरफ से एक नई चिट्ठी राज्य सचिवालय पहुंची है, जिसमें कहा गया है कि राज्यों के किसी भी आइएएस अफसर का केंद्र की तरफ से दूसरे पद पर तबादला किए जाने पर उन्हें निर्धारित समय पर उस पद पर ज्वाइन करना होगा। ऐसा नहीं करने पर संबंधित अफसर को 'स्टैंड रिलीज' कर दिया जाएगा। स्टैंड रिलीज कर दिए जाने से संबंधित अफसर का वेतन बंद हो जाएगा और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन मिलने में भी समस्या हो सकती है।
ममता सरकार का मानना है कि ऐसा होने पर राज्यों के दैनिक प्रशासनिक कार्यों पर काफी असर पड़ सकता है। इसके साथ ही आइएएस अफसरों पर राज्य सरकारों के नियंत्रण पर भी व्यापक तौर पर प्रभाव पड़ेगा। सियासी विश्लेषकों के मुताबिक पिछले साल बंगाल में हुए अलापन बंद्योपाध्याय प्रकरण को लेकर केंद्र की तरफ से यह कदम उठाया जा रहा है। गौरतलब है कि बंगाल के तत्कालीन मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय के सेवा काल का विस्तार करते हुए केंद्र सरकार की तरफ से उनका दिल्ली तबादला कर दिया गया था। अलापन ने दिल्ली नहीं जाकर निर्धारित समय पर ही सेवानिवृत्ति ले ली थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया था।
राज्य सचिवालय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र की नई चिट्ठी का जवाब तैयार कर लिया गया है और उसे जल्द भिजवा दिया जाएगा। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को जो पत्र लिखा था, उसमें उन्होंने कहा था कि आइएएस अफसरों के डेपुटेशन को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों में जो सहयोगात्मक माहौल है, इस कदम से वह काम प्रभावित होगा। प्रधानमंत्री खुद भी एक समय मुख्यमंत्री रहे हैं इसलिए उन्हें समझना चाहिए कि आइएस अफसरों का अचानक तबादला कर दिया जाने से राज्यों के दैनिक कामकाज पर कितना असर पड़ सकता है। यह एकतरफा लिया गया निर्णय है।
गौरतलब है कि ममता केंद्र सरकार की लगभग हरेक कदम का विरोध करती आई है। केंद्र की विभिन्न योजनाओं को उन्होंने शुरू में बंगाल में लागू नहीं होने दिया था, हालांकि बाद में अपना रूख बदलते हुए राजी हुई थीं।