Bengal: एनजीटी के निर्देशों के उल्लंघन पर विश्वभारती को नोटिस
Vishwa Bharati. एनजीटी के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने विश्वभारती विश्वविद्यालय प्रशासन को कारण बताओ दिया।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। Vishwa Bharati . नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने विश्वभारती विश्वविद्यालय प्रशासन को कारण बताओ दिया है। पूछा है कि हाल में संपन्न पौष मेला के दौरान नियमों के उल्लंघन पर विश्वविद्यालय पर 10 लाख रुपये का हर्जाना क्यों नहीं लगाया जाए।
विश्वभारती के रजिस्ट्रार को मंगलवार को भेजे गए बोर्ड के पत्र में कहा गया है कि 24 से 26 दिसंबर को आयोजित वार्षिक मेला के दौरान किसी भी स्टॉल पर आग बुझाने के उपकरण नहीं थे, कुछ कियॉस्क पर कोयले की भट्ठी थी और पर्याप्त जैव-शौचालय भी नहीं थे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिना कोई तारीख बताए विश्वविद्यालय प्रशासन को जल्द अपना जवाब देने को कहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को वीरभूम जिला प्रशासन और बोलपुर नगरपालिका की मदद से पर्यावरण अनुकूल तरीके से वार्षिक मेला का आयोजन करने के लिए कहा था। यह भी कहा गया था कि वायु प्रदूषण ना हो और अपशिष्ट के प्रबंधन भी सुनिश्चित किए जाए। विश्वविद्यालय ने वार्षिक मेला के आयोजन के दौरान एनजीटी के दिशा-निर्देशों को लागू करने का वादा किया था। विश्वभारती के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया। कविवर रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ ने 1894 में मेला की शुरुआत की थी और विश्वभारती विश्वविद्यालय 1951 से इसका आयोजन कर रहा है।
एनजीटी ने दिया कोटा स्टोन इंडस्ट्री को झटका
वहीं, जयपुर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मुकुंदरा टाइगर हिल्स के 10 किलोमीटर की परिधि में स्थित कोटा स्टोन की एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्री में खनन पर रोक लगा दी है। एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल को आदेश की पालन कराने के निर्देश दिए हैं। यह रोक करीब 100 करोड़ रुपये सालाना का कारोबार कर रही कोटा स्टोन इंडस्ट्री के लिए झटका है। नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की ओर से खनन को जारी रखने वाली एनओसी नहीं दिए जाने के कारण एनजीटी ने रोक लगाई है।
कोटा एसोसिएट इंडस्ट्री को साल 2009 में पर्यावरण स्वीकृति केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी की गई थी, जिसके तहत इंडस्ट्री को नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड से एनओसी लेनी थी। लेकिन वहां से एनओसी लेने के बजाय राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से कंसर्न टू आपरेट का सर्टिफिकेट ले लिया गया। इसकी मियाद मई 2019 में समाप्त हो गई। इस सर्टिफिकेट का नवीनीकरण कराने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल में आवेदन किया गया। लेकिन मंडल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए अब सर्टिफिकेट जारी करने से इन्कार कर दिया।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल एक मामले में देश की सभी खानों के लिए नेशनल वाईल्डलाइफ बोर्ड से एनओसी लेना आवश्यक कर दिया है। कोटा स्टोन से जुड़ा यह आदेश एनजीटी में जस्टिस आरएस राठौड़ की पीठ ने दिए हैं। राज्य का खान विभाग अब रास्ता निकालने की कवायद में जुट गया है।