पीएम मोदी नहीं, बंगाल में वैक्सीन सर्टिफिकेट पर होगी ममता की तस्वीर, केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति पर सवाल उठा रही हैं मुख्यमंत्री
केंद्र सरकार के टकराव के बीच अब बंगाल में कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर होगी। अब तक टीका लगने के बाद भेजे जा रहे सर्टिफिकेट पर पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी होती थी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः केंद्र सरकार के टकराव के बीच अब बंगाल में कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर होगी। अब तक टीका लगने के बाद भेजे जा रहे सर्टिफिकेट पर पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी होती थी। परंतु, अब वैक्सीनेशन कार्यक्रम के तीसरे चरण में 18-44 उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट में बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर लगाई जा रही है। बता दें ममता लगातार केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति पर सवाल उठा रही है और सभी लोगों को निःशुल्क वैक्सीन देने की मांग कर रही है।
विधानसभा चुनाव के दौरान वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर तृणमूल ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। तृणमूल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि कोविड-19 टीकाकरण प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर होना चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन है। बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को कहा था कि बंगाल और अन्य चुनावी राज्यों में को-विन ऐप के जरिए प्राप्त किए जाने वाले कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर होना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करार दिया था। अब जबकि चुनाव खत्म हो चुका है तो ममता अपनी तस्वीर लगवाने जा रही है।
तृणमूल नेताओं का दावा है कि बंगाल सरकार लोगों को निःशुल्क वैक्सीन दे रही है। ममता ने बुधवार को ही कहा था कि प्रत्येक वैक्सीन के लिए 600 से 1200 रुपए खर्च हो रहे हैं। 1.4 करोड़ लोगों को वैक्सीन दिए गए हैं. यदि 18 वर्ष की आयु तक देखें, तो बंगाल में 8 करोड़ लोग हैं। इसलिए केंद्र सरकार उनकी वैक्सीन की मांग को पूरा करे। उन्होंने गुरुवार को विभिन्न औद्योगिक चैंबरों से आग्रह किया था कि वे राज्य सरकार के आपदा विभाग को फंड दें ताकिसरकार उन्हें वैक्सीन दे सके। यहां बताते चलें कि इससे पहले आयुष्मान भारत योजना में भी पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर ममता ने सवाल उठाया था और यहां तक कि बंगाल में उसे लागू भी नहीं किया।