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बंगाल भाजपा के लिए महंगी साबित हो रही उत्तर-दक्षिण की दरार, नेताओं के बीच विवाद का आरोप

तथागत राय ने उत्तर और दक्षिण बंगाल के नेताओं के बीच विवाद होने का लगाया आरोप। विधानसभा और निगम चुनावों में विनाशकारी परिणामों के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। बंगाल भाजपा मौत की ओर बढ़ रही है।

By Priti JhaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 08:31 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 08:31 AM (IST)
पूर्व राज्यपाल व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथागत राय

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पूर्व राज्यपाल व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथागत राय का एक ट्वीट पिछले कई दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। राय के ट्वीट में लिखा है कि एक गंभीर बीमारी को दबाने से यह ठीक नहीं होगा, इसके बजाय, यह मौत के पास ले जा सकता है! इसकी शुरुआत धन-महिला सिंड्रोम से हुई। विधानसभा और निगम चुनावों में विनाशकारी परिणामों के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। बंगाल भाजपा मौत की ओर बढ़ रही है। बंगाल में भाजपा धीमी लेकिन अपरिहार्य मौत की ओर बढ़ रही है, यह एक अतिकथन हो सकता है, लेकिन उत्तर बंगाल और दक्षिण बंगाल के नेताओं के बीच तीव्र विभाजन हर गुजरते दिन के साथ बढ़ता जा रहा है। यह पार्टी के लिए महंगा पड़ सकता है।

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शनिवार को केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने राज्य विधायकों सुब्रत ठाकुर, अशोक कीर्तनिया और पूर्व महासचिव सायंतन बसु सहित राज्य के असंतुष्ट भाजपा नेताओं के साथ बैठक की। पार्टी के सूत्रों ने कहा कि जय प्रकाश मजूमदार भी बैठक में उपस्थित थे। इसके अलावा प्रदेश भाजपा के तीन प्रमुख नेता रितेश तिवारी, तुषार मुखोपाध्याय और देबाशीष मित्रा बैठक में शामिल हुए। पार्टी के भीतर आक्रोश की आवाजें तब तेज महसूस हुईं जब कई सदस्यों ने भाजपा के वाट्सएप ग्रुप को छोड़ दिया।

भाजपा नेताओं का पलायन तब शुरू हुआ जब मतुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच भाजपा विधायकों ने अखिल भारतीय मतुआ महासंघ (एआइएमएमएस) द्वारा भाजपा से दूर जाने और राजनीतिक रूप से तटस्थ रुख बनाए रखने की घोषणा से ठीक एक दिन पहले भाजपा विधायक वाट्सएप ग्रुप छोड़ दिया। दिलचस्प बात यह है कि मतुआ के पांच विधायकों में से तीन- शांतनु ठाकुर, सुब्रत ठाकुर और अशोक कीर्तनिया - मतुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। केवल ये पांच ही नहीं बल्कि हाल के हफ्तों में भाजपा के नौ विधायकों ने पार्टी द्वारा गठित नई राज्य समिति पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए पार्टी के वाट्सएप ग्रुपों को छोड़ दिया है।

नए विवाद को राय ने दी हवा

राय के मुताबिक दक्षिण बंगाल और उत्तर बंगाल के नेताओं के बीच विभाजन तब स्पष्ट हो गया जब केंद्रीय राज्य मंत्री जान बारला, उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार के सांसद ने उत्तर बंगाल में जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के गठन की मांग उठाई थी। बारला न केवल अपनी मांग पर अड़े रहे बल्कि अपनी मांगों को रखने के लिए राज्यपाल से भी मिले। बाद में कर्सियांग के विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर उत्तर बंगाल को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग की। हालांकि दक्षिण बंगाल के नेता इसे बारला की निजी राय बताते हुए इसके सख्त खिलाफ थे, लेकिन अलीपुरद्वार के सांसद को इस तरह के अलगाववादी बयान देने से न तो सावधान किया गया और न ही रोका गया।

विभाजन उस समय चरम बिंदु पर पहुंच गया जब सायंतन बसु और जय प्रकाश मजूमदार जैसे कई प्रमुख नेताओं को निर्णय लेने वाली संस्था से हटा दिया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि शीर्ष नेतृत्व उत्तर बंगाल को अधिक प्रतिनिधित्व देने की कोशिश कर रहा था जिसने पार्टी के लिए दक्षिण बंगाल से अधिक सीटें अर्जित कीं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, पार्टी में कई बार फेरबदल हुआ लेकिन अब जो हो रहा है वह अभूतपूर्व है।

राज्य नेतृत्व का राज्य के विधायकों और सांसदों पर शायद ही कोई नियंत्रण है। वे पार्टी की मंजूरी के बिना अपनी इच्छा के अनुसार बयान दे रहे हैं। पार्टी शायद ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई कर रही है। केंद्रीय नेतृत्व भी पूरी बात से चिंतित नहीं है। पार्टी में कोई अनुशासन नहीं है जो पहले अकल्पनीय था। अगर यह जारी रहा तो पार्टी के लिए इससे बाहर निकलना वाकई मुश्किल होगा। 


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