राज्य सरकार का कोई भी विभाग अब लोस के सवालों के जवाब तैयार कर सीधे तौर पर नहीं भेज पाएगा
लोकसभा को भेजे जाने वाले प्रश्नों के जवाब निर्धारित समय से पहले तत्काल आधार पर तैयार करने होंगे और जवाब का मसौदा मुख्य सचिव के पास भेजना होगा। उनकी मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लोकसभा में भेजा जाएगा।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। अब से राज्य सरकार का कोई भी विभाग लोकसभा के सवालों के जवाब तैयार कर उन्हें सीधे तौर पर नहीं भेज पाएगा। राज्य सरकार ने निर्देश जारी कर कहा है कि लोकसभा के सभी सवालों के जवाब 'उच्च प्राधिकारी' की मंजूरी से ही दिए जा सकेंगे और सब कुछ आवंटित समय के भीतर किया जाएगा। राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने इस बाबत सभी विभागों के सचिवों को पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि 2019 में विभागों को लिखित तौर पर चेतावनी दिए जाने के बावजूद देखा गया कि लोकसभा में भेजे गए सवालों के जवाब समय पर तैयार नहीं हो रहे थे। लोकसभा को भेजे जाने वाले प्रश्नों के जवाब निर्धारित समय से पहले तत्काल आधार पर तैयार करने होंगे और जवाब का मसौदा मुख्य सचिव के पास भेजना होगा। उनकी मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लोकसभा में भेजा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक कुछ मामलों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मंजूरी मांगी जा सकती है।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी के तीसरी बार बंगाल की सत्ता में आने के बाद केंद्र और तृणमूल सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है। राज्य पर केंद्र का दबाव बढ़ रहा है, खासकर कानून-व्यवस्था के सवाल पर, हालांकि पूरा मामला राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है, लेकिन इसे ममता सरकार हल्के में नहीं ले रही है इसलिए लोकसभा से पूछे जाने वाले सवालों को लेकर सतर्कता बरती जा रही है ताकि विभिन्न 'संवेदनशील' मुद्दों पर प्रतिक्रिया किसी भी तरह से केंद्र के लिए हथियार न बन सके।
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार के साथ विभिन्न मुद्दों से संबंधित सूचनाओं पर राज्य की स्थिति अक्सर मेल नहीं खाती। राज्य किसी विशेष मुद्दे पर केंद्र द्वारा दी गई जानकारी को स्वीकार नहीं करना चाहता है बल्कि राज्य इसकी प्रतिसूचना पर प्रकाश डालता है। पिछले विधानसभा वोट से पहले ही राज्य सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में राज्य की प्रगति पर केंद्रीय सूचना का विरोध किया था। मुख्यमंत्री ने खुद केंद्र की सूचना की सत्यता पर सवाल उठाया था।
ममता का केंद्र सरकार से सूचनाएं साझा न करने का वाकया नया नहीं है। दो साल पहले अपने पिछले कार्यकाल में ममता ने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे राज्य सरकार की अनुमति के बिना कोई भी सूचना केंद्र के साथ साझा न करें। केंद्र सरकार के अधीन संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो भी ममता सरकार पर बंगाल में होने वाले आपराधिक घटनाओं का डेटा उसे उपलब्ध नहीं कराने की शिकायत करता रहा है।