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राजधानी एक्सप्रेस हमले और माकपा नेता अबीर महतो की हत्या मामले में एनआइए ने पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो से की पूछताछ

पश्चिम मिदनापुर जिले में 2009 में राजधानी एक्सप्रेस हमले और बेहरामपुर के माकपा नेता अबीर महतो की हत्या के मामले में महतो से पूछताछ की।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 05:44 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 05:44 PM (IST)
राजधानी एक्सप्रेस हमले और माकपा नेता अबीर महतो की हत्या मामले में एनआइए ने पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो से की पूछताछ

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता और पुलिस अत्याचार के खिलाफ पीपुल्स कमेटी के पूर्व संयोजक (पीसीपीए) छत्रधर महतो से दो मामलों के सिलसिले में शुक्रवार व शनिवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने पूछताछ की।

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एनआइए ने पश्चिम मिदनापुर जिले में 2009 में राजधानी एक्सप्रेस हमले और बेहरामपुर के माकपा नेता अबीर महतो की हत्या के मामले में महतो से पूछताछ की। जांच के बारे में बात करते हुए महतो ने कहा कि उन्हें तृणमूल के साथ रहने के लिए भाजपा द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। एक राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा कि वह अबीर महतो को नहीं जानते। माकपा नेता का घर उनके घर से लगभग 20 किमी दूर है। 

पूर्ववर्ती पीसीपीए नेता बोले-माओवादी गतिविधि के बारे में जानकारी नहीं थी

दूसरी बात, राजधानी एक्सप्रेस पर हमला तब हुआ जब वह 2009 में हिरासत में थे। पूर्ववर्ती पीसीपीए नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास इस क्षेत्र में वर्तमान में माओवादी गतिविधि के बारे में जानकारी नहीं थी। महतो को 2009 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत जेल में डाल दिया गया और 10 साल जेल में बिताने पड़े। 

सालबोनी के पास लैंड माइन ब्लास्ट के मामले में यूएपीए तहत जेल गए थे

उन्होंने पूर्ववर्ती माकपा शासन के दौरान विद्रोह किया। राज्य में वाम शासन के दौरान, वह पश्चिम मिदनापुर जिले के सालबोनी के पास लैंड माइन ब्लास्ट के मामले में यूएपीए के तहत जेल गए थे। यह विस्फोट तब हुआ था जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का काफिला जिंदल पावर प्लांट के शिलान्यास समारोह से जा रहा था। दो केंद्रीय मंत्रियों की कारें भी काफिले का हिस्सा थीं।

जुलाई में सचिव के रूप में तृणमूल राज्य समिति की सूची में शामिल किया था

महतो को जुलाई में सचिव के रूप में तृणमूल राज्य समिति की सूची में शामिल किया गया था। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल पश्चिम बंगाल के 2021 के विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिम मिदनापुर जिले में अपने जमीनी स्तर को मजबूत करना चाहता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने पश्चिम मिदनापुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा सीटें जीतीं, जिसमें जंगलमहल क्षेत्र, जिसमें माओवादियों का तत्कालीन प्रभाव था।


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