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नंदीग्राम में इस्तेमाल हुई ईवीएम सहित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश, कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई

बंगाल विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी की जीत के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुनावी याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। नंदीग्राम में इस्तेमाल हुई ईवीएम सहित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 05:18 PM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 05:24 PM (IST)
नंदीग्राम में इस्तेमाल हुई ईवीएम सहित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश, कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई
कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुनावी याचिका

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी की जीत के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में दाखिल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुनावी याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। अदालत ने ममता की याचिका को वैध करार देते हुए सुवेंदु अधिकारी को नोटिस जारी किया। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस शंपा सरकार की एकल पीठ ने इसके साथ ही

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नंदीग्राम में इस्तेमाल हुई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) समेत मतदान से जुड़े सभी रिकॉर्ड व दस्तावेज, डिवाइस, वीडियो रिकॉर्डिंग आदि को सुरक्षित रखने का संबंधित प्राधिकारी को निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि चुनाव से जुड़े तमाम रिकॉर्ड को तब तक संरक्षित रखा जाए जब तक कि याचिका का निपटारा नहीं हो जाता। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग और रिटर्निंग ऑफिसर को भी नोटिस जारी किया जाना चाहिए। इस मामले में अब अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।

उल्लेखनीय है कि नंदीग्राम के चुनाव परिणाम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए ममता ने वोटों की फिर से गिनती की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। बंगाल में प्रचंड जीत के बावजूद नंदीग्राम सीट पर ममता को भाजपा उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी से करीबी मुकाबले में 1956 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। मुख्यमंत्री व तणमूल कांग्रेस प्रमुख ने अपनी याचिका में भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी पर जन प्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 123 के तहत चुनाव जीतने के लिए भ्रष्ट आचरण अपनाने का आरोप लगाया है। याचिका में उन्होंने दावा किया कि मतगणना प्रक्रिया में विसंगतियां थीं। इससे पहले न्यायमूर्ति कौशिक चंद ने इस मामले में सुनवाई से सात जुलाई को खुद को अलग कर लिया था।न्यामूर्ति चंद ने इस मामले से उन्हें अलग करने की मांग को लेकर ममता बनर्जी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने मामले को न्यायमूर्ति शंपा सरकार की पीठ को सौंप दिया था।


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