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कभी खुद को भाजपा तो कभी तृणमूल का बता रहे मुकुल राय, जानें क्‍या कहना है सियासी विश्‍लेषकों का

बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीतने के कुछ दिन बाद तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए मुकुल राय ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। वह भाजपा छोड़ने के बाद भी खुद को भाजपा का बता रहे हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 14 Aug 2021 09:13 AM (IST)Updated: Sat, 14 Aug 2021 09:31 AM (IST)
कभी खुद को भाजपा तो कभी तृणमूल का बता रहे मुकुल राय, जानें क्‍या कहना है सियासी विश्‍लेषकों का
मुकुल राय कभी खुद को भाजपा तो कभी तृणमूल कांग्रेस का बता रहे हैं।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। मुकुल राय कभी खुद को भाजपा तो कभी तृणमूल कांग्रेस का बता रहे हैं। इसे लेकर भ्रम पैदा हो रहा है हालांकि सियासी विश्लेषकों का एक वर्ग इसे मुकुल की रणनीति मान रहा है। विधायक के तौर पर वे खुद को भाजपा का बता रहे हैं। वे यह भी कह रहे हैं कि बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्हें भाजपा द्वारा नामित किया गया है लेकिन इससे कुछ दिन पहले ही मुकुल तृणमूल में लौटे थे। त्रिपुरा में तृणमूल प्रतिनिधियों पर हमले को लेकर उन्होंने भाजपा की निंदा की थी और वहां अगले विधानसभा चुनाव में तृणमूल के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई थी।

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विस उपचुनाव का मुद्दा उठने पर मुकुल कहते हैं कि अगर वे भाजपा की तरफ से खड़े होते हैं तो चुनाव जीत जाएंगे लेकिन अगर वे तृणमूल की ओर से खड़े होंगे तो लोग तय करेंगे कि वे जीतेंगे या नहीं। दूसरे शब्दों में वे खुद को भाजपा नेता के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं त्रिपुरा में तृणमूल के संगठन से जुडे़ सवाल पर खुद को तृणमूल नेता बता रहे हैं।

कृष्णानगर उत्तर से विधायक मुकुल ने पिछले शुक्रवार को नदिया जिले का दौरा किया था। वहां पत्रकारों ने जब मुकुल से त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनाव और पार्टी की गतिविधियों के बारे में पूछा तो उनका जवाब सुनकर सब चक्कर में पड़ गए। मुकुल ने कभी खुद को भाजपा तो कभी तृणमूल का बताया। गौरतलब है कि मुकुल ने गत 11 जून को भाजपा छोड़ दी थी और तृणमूल में लौट गए थे। भाजपा ने दलबदल कानून के तहत मुकुल को विधायक पद को बर्खास्त करने की मांग की है। मुकुल बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी बने हैं।

गत 30 जुलाई को अध्यक्ष के चुनाव को लेकर उठे विवाद के बीच लोक लेखा समिति की पहली बैठक में मुकुल नदारद थे। उस दिन विधानसभा में समिति की बैठक हुई थी। बैठक में भाजपा विधायक शामिल नहीं हुए। उन्होंने पहले ही कह दिया था कि वे बैठक में शामिल नहीं होंगे क्योंकि उन्होंने मुकुल की अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति का विरोध किया था।


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