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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पीएसी के अध्यक्ष पद पर मुकुल राय की नियुक्ति का मामला, विधानसभा स्पीकर ने हाई कोर्ट के निर्देश को दी चुनौती

बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पर मुकुल राय की नियुक्ति का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के खिलाफ विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 05:53 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 05:53 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पीएसी के अध्यक्ष पद पर मुकुल राय की नियुक्ति का मामला, विधानसभा स्पीकर ने हाई कोर्ट के निर्देश को दी चुनौती
मुकुल राय की नियुक्ति का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पर मुकुल राय की नियुक्ति का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के खिलाफ विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट की पीठ ने स्पीकर से सात अक्टूबर तक यह बताने को कहा है कि मुकुल के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत दायर याचिका पर उन्होंने क्या निर्णय लिया है, अन्यथा अदालत कार्रवाई करेगी।

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लेकिन स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि विधानसभा से जुड़े मामलों पर उनके लिए समय सीमा तय करने का अधिकार कोर्ट के पास नहीं है। विधानसभा सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है। ऐसे मे अब देखने वाली बात है कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में कब सुनवाई होती है और मुकुल राय को राहत मिलती है या नहीं। वहीं दूसरी ओर विधानसभा स्पीकर को गुरुवार को ही अपने जवाब हाई कोर्ट को देना है। परंतु, जिस तरह से हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है उससे स्पीकर और मुकुल दोनों की परेशानी बढ़ी हुई है।

भाजपा का आरोप है कि बंगाल में पिछले दस वर्षों में 50 से अधिक विधायकों ने दलबदल किया, लेकिन दलबदल विरोधी कानून के तहत एक भी कार्रवाई नहीं हुई। पिछले चार माह में भाजपा के चार विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इनमें से दो विधायकों के खिलाफ भी भाजपा ने विधानसभा स्वीकर से दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग करते हुए आवेदन जमा दिया है। अगर मुकुल के खिलाफ कार्रवाई हो जाती है तो यह उन दलबदलु विधायकों के साथ-साथ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए भी सबक साबित हो सकता है। 


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