बंगाल के हाईकोर्ट समेत समस्त अदालतों में 24 लाख से अधिक मामले लंबित
बंगाल के हाईकोर्ट समेत समस्त निचली अदालतों में करीब 2418374 मामले लंबित पड़े हैं। इस कारण से लाखों लोगों को लंबे अरसे से न्याय के लिए विभिन्न अदालतों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
हावड़ा, ओमप्रकाश सिंह। बंगाल के हाईकोर्ट समेत समस्त निचली अदालतों में करीब 24,18374 मामले लंबित पड़े हैं। इस कारण से लाखों लोगों को लंबे अरसे से न्याय के लिए विभिन्न अदालतों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। आरटीआई से हुए खुलासा से पता चला है कि 20 जून वर्ष 2018 तक विभिन्न अदालतों में 24 लाख से अधिक मामले लंबित हैं।
आंकड़े के अनुसार सिर्फ कोलकाता हाई कोर्ट में उक्त अवधि तक 2,22,102 मामले लंबित थे जबकि राज्य के विभिन्न जिला व महकमा अदालतों में 21,96,272 मामले लंबित हैं। इस संबंध में कुछ वकीलों का कहना है कि दुष्कर्म, छेड़खानी व महिलाओं से जुड़े अपराधों की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में होती है।
जबकि अन्य मामलों की सुनवाई उक्त ट्रैक में नहीं होती है। उनका कहना है कि काफी धीमी गति से सुनवाई होने के कारण मामले वषरे तक चलते रहते हैं। कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि एक मामले की सुनवाई साल में दो बार भी की गई या अधिक से अधिक चार बार की गई। कई बार न्यायाधीशों के बदलने अथवा अवकाश प्राप्त करने के कारण भी मामले की सुनवाई में देर हो जाती है। इतनी अधिक संख्या में मामलों के लंबित होने के संबंध में पूछे जाने पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डाक्टर अजय ढांड ने बताया कि मामलों के लंबित होने के लिए वकीलों द्वारा निर्धारित तारीख पर सुनवाई होने से पहले तारीख ले लेना बहुत हद तक जिम्मेवार है। सुनवाई के दौरान कभी आरोपी के वकील उसकी तबीयत खराब होने का हवाला देकर तारीख ले लेते हैं तो कभी शिकायतकर्ता के वकील अपनी अथवा शिकायतकर्ता की तबीयत खराब होने के ग्राउंड पर अगली तारीख ले लेते हैं। इस प्रकार मामले की सुनवाई हुए बिना समय गुजरता रहता है। इसके अलावा श्री ढांड ने बताया कि साक्ष्यों को अदालत में प्रमाणित करने को लेकर भी काफी समय गुजर जाते हैं।
कलकत्ता हाई कोर्ट के वकील अभिजीत दत्त चौधरी ने बताया कि जितने मामले अदालत में सुनवाई के लिए आते हैं, उस अनुपात में अदालतों में न्यायाधीशों की कमी हो सकती है। निचली अदालतों में एक दिन में कुछेक मामलों की ही सुनवाई होती है। इसी वजह से राज्य के विभिन्न अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं।
श्री दत्तचौधरी ने बताया कि जो मामले थाना में निजी मुचलका देकर खत्म किया जा सकता है, उसे भी अदालत में भेज दिया जाता है। इस कारण से कोर्ट पर सुनवाई करने के लिए काफी दबाव बना रहता है। दूसरी ओर विभिन्न बातों का हवाला देकर वकीलों द्वारा अगली तारीख लेने से लंबे समय गुजर जाते हैं। इस वजह से भी इतनी अधिक संख्या में मामले विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हैं। गौरतलब है कि तारीख के बाद तारीख लेने से मामले की सुनवाई करते करते लंबे अरसे निकल जाते हैं और पीड़ित को न्याय मिलने के बजाय उसका पैसा भी नष्ट होते रहता है।