जनवरी में बंगाल मतुआ समुदाय के लिए अहम घोषणा करेंगे अमित शाह, भाजपा ने किया अगले प्लान का ऐलान
बंगाल के कई जिलों में बड़ी संख्या में शरणार्थी के रूप में दशकों से रहने वाले मतुआ समुदाय की बहुप्रतीक्षित नागरिकता का सपना पूरा होने वाला है। बंगाल इकाई ने स्पष्ट किया है कि 19 या 20 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक बार फिर बंगाल दौरे आएंगे
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के कई जिलों में बड़ी संख्या में शरणार्थी के रूप में दशकों से रहने वाले मतुआ समुदाय की बहुप्रतीक्षित नागरिकता का सपना जल्द पूरा होने वाला है। भाजपा की बंगाल इकाई ने बुधवार को स्पष्ट किया है कि 19 या 20 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक बार फिर बंगाल दौरे पर आएंगे और उसी दौरान वह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू करने की रूपरेखा के बारे में घोषणा करेंगे। यानी यह कानून कब से लागू होगा इसके बारे में शाह स्थिति स्पष्ट करेंगे। प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता व सांसद शांतनु ठाकुर ने बुधवार को कोलकाता के हेस्टिंग्स स्थित भाजपा के चुनावी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
बनगांव से सांसद शांतनु ठाकुर ने इस दौरान कहा कि मतुआ के गढ़ माने जाने वाले उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में केंद्रीय गृह मंत्री 19 या 20 जनवरी को मतुआ समुदाय को संबोधित करेंगे। इसी सभा के दौरान वह सीएए लागू करने की घोषणा कर सकते हैं। दरअसल, हाल में बंगाल दौरे के दौरान शाह ने कहा था कि कोविड-19 के कारण सीएए क्रियान्वयन में विलंब हो रहा है। उसके बाद राज्य के मतुआ समुदाय में असंतोष देखा गया था। यहां तक कि बनगांव लोकसभा सीट से भाजपा सांसद व मतुआ समुदाय से आने वाले शांतनु ठाकुर ने भी नाराजगी जताई थी। लेकिन अब ठाकुर ने दावा किया कि शीघ्र ही सीएए लागू किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा के साथ ही हैं और सीएए का विरोध करने वाली पार्टी में जाने का सवाल ही नहीं उठता। ठाकुर ने कहा, वर्तमान सरकार ने सीएए कानून बनाया, तो अब वह इस कानून को क्यों लागू नहीं करेगी ? उन्होंने कहा कि इसे लेकर मतुआ महासंघ ने आशंका जताई थी। इस कारण उन्होंने मतुआ समुदाय के साथ बैठक की थी। अब खुद गृह मंत्री बताएंगे कि सीएए कब लागू होगा।
ममता शासन में उपेक्षित रहे लोग
इस मौके पर भाजपा उपाध्यक्ष मुकुल रॉय ने कहा, "मतुआ समुदाय के नेता और लोग वाम व तृणमूल शासन में राजनीति के शिकार हुए। वोट की राजनीति के कारण मतुआ समुदाय के साथ इन दलों ने अच्छे संपर्क रखे, लेकिन कभी भी उनका कल्याण नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि माकपा, तृणमूल और कांग्रेस ने बंगाल में मुस्लिम घुसपैठियों को राज्य में रहने की व्यवस्था की थी, जबकि नामशूद्र को प्रताड़ित किया।
ममता बनर्जी ने 2011 में सत्ता में आने के बाद कभी भी उनका उपकार नहीं किया। पिछले 10 वर्षों के दौरान ममता बनर्जी ने मतुआ समुदाय के लिए कोई भी काम नहीं किया।" रॉय ने कहा, "केंद्र सरकार ने सीएए पारित कर मतुआ समुदाय को नागरिकता देने की पहल की, लेकिन ममता बनर्जी ने इस कानून का विरोध किया। केंद्र सरकार इस कानून को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। कोरोना के कारण इसमें विलंब हुआ। शीघ्र ही इस कानून को क्रियान्वित किया जाएगा।"