समुद्री क्षेत्र में सभी प्रकार के विवादों के समाधान के लिए जहाजरानी मंत्री ने ‘सरोद-पोर्ट्स’ किया लांच
जहाजरानी मंत्री ने कहा यह भारत के बंदरगाह क्षेत्र में उम्मीद विश्वास और न्याय का महत्वपूर्ण तंत्र बन जाएगा
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को नई दिल्ली में वर्चुअल समारोह के माध्यम से सरोद-पोर्ट्स (सोसाइटी फॉर अफोर्डेबल रिड्रेसल ऑफ डिस्प्यूट्स - विवादों के किफायती समाधान के लिए समिति) का शुभारंभ किया।
इसके लॉन्चिंग के अवसर पर मंडाविया ने सरोद - पोर्ट्स को गेम चेंजर का नाम दिया और कहा कि यह भारत के पोर्ट सेक्टर में उम्मीद, विश्वास और न्याय का महत्वपूर्ण तंत्र बन जाएगा। उन्होंने कहा कि रियायत समझौतों का अक्षरशः प्रवर्तन, सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। सरोद –पोर्ट्स, खर्च और समय की बचत करते हुए निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से विवादों को हल करेंगे।
इस मौके पर पोत परिवहन मंत्रालय के सचिव डॉ संजीव रंजन ने कहा कि आने वाले दिनों में सभी प्रमुख बंदरगाह 'लैंडलॉर्ड मॉडल' को अपनाएंगे। कई रियायत प्राप्तकर्ता बड़े पोर्ट के साथ काम करेंगे। सरोद - पोर्ट्स निजी कंपनियों में आत्मविश्वास जगाएंगे और हमारे भागीदारों के लिए सही तरह का वातावरण सुनिश्चित करेंगे। तेज, समय पर, लागत प्रभावी और मजबूत विवाद समाधान तंत्र होने की वजह से यह समुद्री क्षेत्र में ‘कारोबार में आसानी’ को बढ़ावा देगा।सरोद- पोर्ट्स की स्थापना सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत विभिन्न उद्देश्यों के साथ की गई है।
सरोद- पोर्ट्स की स्थापना का उद्देश्य
न्यायपूर्ण तरीके से विवादों का किफायती और समयबद्ध समाधान। मध्यस्थों के रूप में तकनीकी विशेषज्ञों के पैनल के साथ विवाद समाधान तंत्र का संवर्धन।सरोद - पोर्ट्स में इंडियन पोर्ट्स एसोसिएशन (आईपीए) और इंडियन प्राइवेट पोर्ट्स एंड टर्मिनल्स एसोसिएशन (आईपीटीटीए) के सदस्य शामिल हैं।
सरोद - पोर्ट्स समुद्री क्षेत्र में मध्यस्थों के माध्यम से विवादों के निपटान में सलाह और सहायता प्रदान करेंगे, जिनमें प्रमुख बंदरगाह और निजी बंदरगाह, जेटी, टर्मिनल, गैर-प्रमुख बंदरगाह, पोर्ट और शिपिंग क्षेत्र शामिल हैं। यह प्राधिकरण और लाइसेंसधारी / रियायत प्राप्तकर्ता/ ठेकेदार देने के बीच के विवादों को भी कवर करेगा और विभिन्न अनुबंधों के निष्पादन के दौरान लाइसेंसधारी / रियायत प्राप्तकर्ता और उनके ठेकेदारों के बीच होने वाले विवाद भी इसमें शामिल होंगे।सरोद – पोर्ट्स के प्रावधान राजमार्ग क्षेत्र में एनएचएआई द्वारा गठित सरोद – रोड्स के समान हैं।
2018 में कैबिनेट से मिली थी मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनवरी, 2018 में मॉडल रियायत समझौते (एमसीए) में संशोधन को मंजूरी दी थी। एमसीए के संशोधन में, प्रमुख बंदरगाहों की पीपीपी परियोजनाओं के लिए विवाद समाधान तंत्र के रूप में सरोद – पोर्ट्स की परिकल्पना की गई है।