Bengal Maoist active : बंगाल में नौ साल की चुप्पी के बाद फिर माओवादी सक्रिय, प्रशासन सतर्क, सरकार चिंतित
Bengal Maoist active माओवादी संलिप्तता से जुड़ी चार घटनाएं सामने आने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक। 2011 में शीर्ष नेता किशनजी की मौत के बाद माओवादियों का सफाया हुुुुुआ।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल के झाड़ग्राम जिले के आदिवासी इलाकों में नौ साल की चुप्पी के बाद माओवादियों के दोबारा सक्रिय होने की खबरों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इन इलाकों में माओवादी संलिप्तता से जुड़ी चार अलग-अलग घटनाओं के सामने आने के बाद राज्य प्रशासन अब इनका पुनरुत्थान देख रहा है। इसके मद्देनजर शनिवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई।
शीर्ष नेता किशनजी की मौत के बाद बंगाल में हुआ था माओवादियों का सफाया
बताते चलें कि 2011 में शीर्ष नेता किशनजी की मौत के बाद बंगाल में लगभग माओवादियों का सफाया हो गया था। सूत्रों के मुताबिक गत गुरुवार को झाड़ग्राम जिले के बेलपहाड़ी के धांगीकुसुम क्षेत्र के जंगलों की सैर करने वाले तीन पर्यटकों से सशस्त्र नक्सलियों ने मोबाइल फोन छीन लिए तथा तस्वीर खींचने पर गोली मारने की धमकी दी।
ग्रामीणों से स्वतंत्रता दिवस को काला दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया था
एक अन्य घटना में पिछले दिनों झाड़ग्राम जिले के बेलपहाड़ी क्षेत्र के सिंदुरिया में बेलपहाड़ी-पुरुलिया मुख्य सड़क पर सड़क निर्माण कार्य के दौरान 19 माओवादी पोस्टर सामने आए। पोस्टरों में ठेकेदारों को काम कर बंद करने के चेतावनी संदेश थे। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झाड़ग्राम के कई गांवों में 10-12 हस्तलिखित माओवादी पोस्टरों में ग्रामीणों से स्वतंत्रता दिवस को काला दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया गया था।
पिछले माह कुछ माओवादियों ने झारखंड की सीमा से कुछ किलोमीटर दूर झाड़ग्राम जिले के पोचपनी गांव में एक व्यापारी के घर में आग लगा दी। हालांकि, राज्य पुलिस के अधिकारियों ने इन घटनाओं में माओवादियों की संलिप्तता को न तो स्वीकार किया और न ही खंडन किया।
बंगाल के माओवादी दस्ते के संचालन का क्षेत्र है झाड़ग्राम : केंद्रीय खुफिया एजेंसी
दरअसल झाड़ग्राम जिला बंगाल के माओवादी दस्ते के संचालन का क्षेत्र है, जो झारखंड से बाहर असीम मंडल उर्फ आकाश के नेतृत्व में है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों ने कहा कि राज्य सचिव आकाश की अगुवाई में सशस्त्र दस्ते की गतिविधियां हाल ही में बंगाल के झाड़ग्राम और पुरुलिया जिलों में बंगाल-झारखंड सीमा से लगे गांवों में बढ़ी हैं। दस्ते में गोरिल्ला युद्ध में पारंगत 20 से 25 माओवादी हैं। स्क्वाड में पिछले तीन-चार सालों में कुछ नए रंगरूटों को भी भर्ती किया गया है।
अब लगभग नौ साल बाद वे झारखंड की सीमा से लगे राज्य के जंगलों में लौट रहे
मालूम हो कि वर्ष 2011 में शीर्ष माओवादी कमांडर किशनजी के मारे जाने के बाद बंगाल में माओवादी गतिविधियों में कमी आई थी। अब लगभग नौ साल बाद वह झारखंड की सीमा से लगे राज्य के जंगलों में फिर से वापस लौट रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले पिछले एक महीने में माओवादियों के बंगाल के झाड़ग्राम और पुरुलिया जिलों में आकर अभियान चलाने और फिर वापस झारखंड चले जाने की खबरें सामने आई हैं, जो निश्चित तौर पर सरकार के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि अक्सर माओवादी चुनाव में बाधा पहुंचाते हैं।
माओवादियों की सक्रियता को नियंत्रित करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक
झाड़ग्राम जिले में पिछले कुछ माह में माओवादी गतिविधियों में हुई बढ़ोतरी के मद्देनजर शनिवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक- बांकुड़ा रेंज, बांकुड़ा, पुरुलिया तथा झाड़ग्राम के पुलिस अधीक्षक व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, बेलपहाड़ी के पुलिस उपाधीक्षक तथा अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक बैठक में माओवादी गतिविधियों पर काबू पाने के लिए ठोस कदम उठाने पर चर्चा हुई।