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West Bangal: आर्थिक सुस्ती में ममता की 'गतिधारा' ने संभाली ऑटो

राज्य सरकार ने अगले एक साल में 12 हजार बेरोजगारों को इस परियोजना के तहत लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है जो वर्तमान वित्तीय के लक्ष्य से दो हजार अधिक है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 08:58 AM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 08:58 AM (IST)
West Bangal: आर्थिक सुस्ती में ममता की 'गतिधारा' ने संभाली ऑटो
West Bangal: आर्थिक सुस्ती में ममता की 'गतिधारा' ने संभाली ऑटो

कोलकाता, जागरण संवाददाता। देश की सुस्त अर्थ व्यवस्था के बीच ऑटोमोबाइल उद्योग को राहत देने व राज्य के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के मकसद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शुरू की गई गतिधारा परियोजना के तहत युवाओं को वाणिज्यिक वाहनों की खरीद को राज्य सरकार आर्थिक मदद प्रदान कर रही है, ताकि राज्य के युवा रोजगार से जुड़ सके। साथ ही ऑटोमोबाइल उद्योग में व्याप्त सुस्ती के माहौल को कम किया जा सके। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन की मानें तो राज्य की इस परियोजना से न केवल बेरोजगार युवाओं को कमाने का जरिया मिला है, बल्कि राज्य में ऑटोमोबाइल उद्योग को अनुबंध की समस्या से भी मुक्ति मिली है।

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साल 2014 में राज्य श्रम विभाग की देखरेख में शुरू हुई इस परियोजना का भले ही कोई खास प्रभाव देखने को न मिला हो, लेकिन एक साल बाद 2015 में राज्य परिवहन विभाग द्वारा फिर से इसे शुरू किया गया। इस परियोजना के तहत परिवहन विभाग की ओर से आवेदक को तीन या चौपहिया वाणिज्यिक वाहन की खरीद पर 30 फीसद तक का अनुदान प्रदान किया जाता है। लेकिन अनुदान की रकम एक लाख से अधिक नहीं होती। साथ ही उन्हें रकम भुगतान को मासिक किस्त में अदायगी की सुविधा प्रदान की जाती है, जो उनके लिए एक बेहतर विकल्प होता है।

परिवहन विभाग के अनुसार 2015 में इसकी पुन: शुरुआत के बाद सरकार ने 38,204 बेरोजगार युवाओं को एकमुश्त अनुदान प्रदान किया है, जिसमें 343.88 करोड़ रुपये की लागत आई है। बताया गया कि शुरुआती वित्तीय वर्ष में सरकार ने केवल सब्सिडी लागत को 52 करोड़ रुपये खर्च किए थे, लेकिन कोलकाता में ओला और उबर जैसी ऐप आधारित कैब सेवाओं की लोकप्रियता को देखते हुए सरकार इस परियोजना को जनप्रिय बनाने को अधिक खर्च कर रही है। वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में इस परियोजना को सफल बनाने को 93 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे तो चालू वित्त वर्ष के अंत तक 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की उम्मीद है। जिसका सीधा लाभ ऑटोमोबाइल क्षेत्र को हुआ है।

इधर, फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने परियोजना के लिए राज्य की ममता सरकार की प्रशंसा करते हुए केंद्र की मोदी सरकार से हर राज्य में सब्सिडी योजना शुरू करने का आग्रह भी किया है। आंकड़ों की मानें आर्थिक सुस्ती के माहौल में राष्ट्रीय स्तर पर वाहनों की बिक्री में औसतन 25 फीसद की गिरावट आई है, लेकिन बंगाल में स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। जिसका एकमात्र कारण राज्य सरकार की गतिधारा परियोजना है। परियोजना ने वाणिज्यिक उद्देश्यों को वाहनों की लगातार बिक्री को बढ़ावा दे ऑटो डीलरों की मदद की है। सरकारी प्रतिनिधि भी नियमित रूप से ऑटो डीलरों के संपर्क में रहे हैं और उनकी समस्याओं पर चर्चा करने के साथ ही व्यापार को आसान बनाने की कोशिशें जारी हैं।

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा कि ममता सरकार की इस परियोजना की जितनी भी तारीफ की जाए कम है, क्योंकि बेहतर आर्थिक नीति व लगातार डीलरों से चर्चा ने हमें संकट से उबारने का काम किया है। वहीं एक अन्य ऑटो डीलर ने कहा कि अगर सरकार 200 करोड़ रुपये खर्च करती है तो स्वचालित रूप से बाजार को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार की गतिधारा परियोजना के कारण बाजार में लगातार वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री जारी है व निवेशकों को और अधिक निवेश करने को प्रेरित कर रहा है और हमने सरकार से इस साल अधिक खर्च करने को कहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने अगले एक साल में 12 हजार बेरोजगारों को इस परियोजना के तहत लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो वर्तमान वित्तीय के लक्ष्य से दो हजार अधिक है। साथ ही प्रदूषण मुक्त परिवेश को ई-रिक्शा की खरीददारों को एकमुश्त अनुदान देने की योजना है। इधर, राज्य परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हम ई-रिक्शा खरीदने को सब्सिडी तभी देंगे जब आवेदक महिला हो या फिर अनुसूचित जनजाति से हो। उन्होंने कहा कि इससे गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। 


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