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Bengal Assembly Elections: मुस्लिम वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए ममता की नई रणनीति

Bengal Assembly Electionमुस्लिम धर्मगुरुओं की मदद से नई पार्टी को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में ममता। बंगाल में करीब 30 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। करीब 100 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। ओवैसी की इंट्री से तृणमूल को वोट बैंक खिसकने का डर सता रहा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 07:53 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 07:53 AM (IST)
Bengal Assembly Elections: मुस्लिम वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए ममता की नई रणनीति
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी भी रणनीति में जुट गई है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बिहार चुनाव में पांच सीटों पर मिली सफलता के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की नजर अब बंगाल में मुस्लिम वोटों पर है। उन्होंने अगले साल होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा भी कर दी है, इसके बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को मुस्लिम वोटों के बंटवारे का डर सता रहा है।

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इस बीच मुस्लिम वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी भी रणनीति में जुट गई है। उन्होंने यहां इसको लेकर फुरफुरा शरीफ के पीरजादा तोहा सिद्धिकी के साथ बैठक की है। ममता इसी के साथ दूसरे मुस्लिम धर्मगुरुओं के भी संपर्क में हैं। हुगली जिले में स्थित फुरफुरा शरीफ मुस्लिमों का प्रमुख धार्मिक केंद्र है।

सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को फुरफुरा शरीफ के पीरजादा तोहा सिद्धिकी अपने कुछ प्रमुख लोगों के साथ राज्य सचिवालय नवान्न पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री को कई मुद्दों पर ज्ञापन भी सौंपा। हालांकि पीरजादा की ओर से दावा किया गया कि यह मुलाकात गैर राजनीतिक थी। लेकिन, राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि ममता व पीरजादा के बीच मुलाकात पूरी तरह राजनीतिक व वोट केंद्रित रहीं।

सूत्रों के अनुसार, मुस्लिम वोटों के बिखराव को रोकने के लिए ममता तोहा सिद्धिकी व अन्य मुस्लिम धर्मगुरुओं की मदद से एक नई पार्टी को चुनावी मैदान में उतार सकती है। इसके पीछे यह कोशिश है कि यदि तृणमूल कांग्रेस से कोई मुस्लिम मतदाता नाराज हैं तो वह उस पार्टी का समर्थन कर दें। यानी ममता की पूरी कोशिश है कि अंदरुनी गठबंधन के माध्यम से पूरा मुस्लिम वोट बैंक उनके पक्ष में बना रहे। वह किसी सूरत में ओवैसी व भाजपा को इसका फायदा नहीं उठाने देना चाहती हैं।

गौरतलब है कि बंगाल में करीब 30 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। करीब 100 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इससे पहले मुस्लिमों का समर्थन तृणमूल कांग्रेस को मिलता रहा है। लेकिन, इस बार ओवैसी की इंट्री से तृणमूल को वोट बैंक खिसकने का डर सता रहा है। दूसरी तरफ भाजपा से पहले से कड़ी चुनौती मिल रही है। 


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