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बंगाल विधानसभा से पारित हुआ विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव, पक्ष में पड़े 196 वोट, खिलाफ में पड़े 69 वोट

बंगाल में प्रचंड बहुमत के साथ लगातार तीसरी बार सत्ता में आई ममता बनर्जी सरकार द्वारा मंगलवार राज्य विधान परिषद के गठन के लिए पेश प्रस्ताव विधानसभा से पारित हो गया। संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने नियम 169 के तहत यह प्रस्ताव पेश किया। भाजपा ने इसका विरोध किया।

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 10:21 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 07:25 PM (IST)
बंगाल विधानसभा से पारित हुआ विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव, पक्ष में पड़े 196 वोट, खिलाफ में पड़े 69 वोट
ममता ने चुनावी घोषणा पत्र में विधान परिषद के गठन का किया था वादा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में प्रचंड बहुमत के साथ लगातार तीसरी बार सत्ता में आई ममता बनर्जी सरकार द्वारा मंगलवार राज्य विधान परिषद के गठन के लिए पेश प्रस्ताव विधानसभा से पारित हो गया। संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने नियम 169 के तहत यह प्रस्ताव पेश किया। मुख्य विपक्षी भाजपा ने इसका विरोध किया। चर्चा के बाद जब मतदान हुआ तो 69 के मुकाबले 196 मतों से यह प्रस्ताव पारित हो गया।यानी सदन में मौजूद 265 सदस्यों में से 196 ने इसका समर्थन किया और 69 ने विरोध किया।प्रस्ताव का विरोध करते हुए भाजपा विधायक दल के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) ‘‘पिछले दरवाजे’’ की राजनीति करना चाहती है ताकि विधानसभा चुनावों में हारने के बावजूद नेता निर्वाचित हो जाएं।

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उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम से राज्य के राजस्व पर दबाव पड़ेगा।भाजपा विधायकों ने इस दौरान सदन में सीएम की अनुपस्थिति को लेकर भी हो- हल्ला मचाया।भाजपा के सुर में सुर मिलाते हुए आइएसएफ के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दीकी ने भी प्रस्ताव का विरोध किया। गौरतलब है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। पांच मई को तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बमुश्किल 12 दिन बाद ही ममता सरकार ने विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव को कैबिनेट से भी मंजूरी दे दी थी।

संसद के दोनों सदनों से भी बिल को कराना होगा पारित

इधर,‌ विधानसभा से प्रस्ताव पारित होने के बाद भी विधान परिषद का गठन इतना आसान नहीं है। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। इसके बाद इसे केंद्र के पास भेजा जाएगा। ममता सरकार के सामने असल चुनौती इसे संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पारित कराने की है। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी भी जरूरी है। इसके बाद ही विधान परिषद के गठन का रास्ता साफ हो पाएगा। मालूम हो कि बंगाल में विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं। यदि विधान परिषद का गठन होता है तो उसमें नियमों के अनुसार 98 सदस्य होंगे। गौरतलब है कि बंगाल में पांच दशक पहले विधान परिषद की व्यवस्था थी लेकिन कुछ राजनीतिक कारणों से इसे 21 मार्च 1969 को खत्म कर दिया गया था।

पांच राज्यों में है विधान परिषद की व्यस्था

बता दें कि मौजूदा समय में पांच राज्यों में विधान परिषद की व्यवस्था है। इसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना शामिल है। इससे पहले जम्मू- कश्मीर में भी विधान परिषद थी। लेकिन पांच अगस्त 2019 को केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद इसकी मान्यता खत्म हो गई।


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